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मेरे अहसास आ आजा पास मेरे साथ साथ तू मेरे


मेरे अहसास आ आजा पास मेरे साथ साथ तू मेरे

जो भी हो भला बुरा वो मैं बस लिख देता हूँ
इन कोरे पन्नो पे मैं अपना रंग यूँ ही भर देता हूँ

कुछ सिकोड़ से वो गये कुछ मटमैले वो हो गये
अब भी बैठ हैं उस कोने से वो अपने में ही खो गये

आँखों की नमी है वो या है वो एक ओस की बूंद
कभी फिरी होगी उंगलियां या रोयी होगी कोई आंखें

मोड है जिन्‍दगी का या उस से जुडी हुयी वो यादें
हर पन्ने पर उभरी हैं वो अब भी हैं वो बची सिलवटें

अब भी थोड़ी सांस बाकी है उन चंद पंक्तियों में
अब भी वो बेकरार है एक गीत बन जाने के लिये

मेरे अहसास आ आजा पास मेरे साथ साथ तू मेरे
ऐसे ना तू रूठ ऐसे ना तू खफा हो वो यार तू मेरे

जो भी हो भला बुरा वो मैं बस लिख देता हूँ
इन कोरे पन्नो पे मैं अपना रंग यूँ ही भर देता हूँ

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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