एक बार फिर से
एक बार फिर से
मुलाकात कर ले अपने दिल से
(बचपन की वो बिसरी मुस्कान ) ..... २
ओंठों से कह दे आज फिर से मिल ले
एक बार फिर से .......
पीछे छूट गया है जो कुछ तेरा
उसको फिर से इकठा कर ले
(एक बार क्यों ना हो तुझ से ) ..... २
उसको फिर इस दिल से पुकार ले
एक बार फिर से .......
पैसों से कोई बड़ा नहीं होता
जो अपना है वो दिल से जुदा नहीं होता
( टूटा है जो तेरा वो रिश्ता )..... २
वो तेरे अहम के कारण बड़ा नहीं होता
एक बार फिर से .......
कभी आंखें तो छलकी होंगी
तेरा वो अकेला दिल अकेले में रोया होगा
( तब याद तुझ को वो बहुत आया होगा )..... २
जो तेरे दिल से जुड़ा हुआ होगा
एक बार फिर से .......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna-dhyani.blogspot. in/search/
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में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानीएक बार फिर से
मुलाकात कर ले अपने दिल से
(बचपन की वो बिसरी मुस्कान ) ..... २
ओंठों से कह दे आज फिर से मिल ले
एक बार फिर से .......
पीछे छूट गया है जो कुछ तेरा
उसको फिर से इकठा कर ले
(एक बार क्यों ना हो तुझ से ) ..... २
उसको फिर इस दिल से पुकार ले
एक बार फिर से .......
पैसों से कोई बड़ा नहीं होता
जो अपना है वो दिल से जुदा नहीं होता
( टूटा है जो तेरा वो रिश्ता )..... २
वो तेरे अहम के कारण बड़ा नहीं होता
एक बार फिर से .......
कभी आंखें तो छलकी होंगी
तेरा वो अकेला दिल अकेले में रोया होगा
( तब याद तुझ को वो बहुत आया होगा )..... २
जो तेरे दिल से जुड़ा हुआ होगा
एक बार फिर से .......
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