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अपणि दुधबोली


अपणि दुधबोली

अपणि दुधबोली थे बिसरि तू ना जैई
कोसिस करदा रै विं बान बिरदी तू ना जैई
वे बाटों मा जब त्वे ठोकर लगेली लाटा
मुख भतेक बस बल तू बोई बोल देई

बन बनि का रंगों मा कनि वा रंगी छा
धारा पुंगड़ों वे माटूं मा वा देख बोति छा
बुराँस फ़्यूँलि जनि विंकी बि ग्लोडि हॅसे देई
अपड़ा बच्चों थे बि विं थे तू सीखे पढ़े दे

हमारि मातृभाषा हमारि पच्छ्याण छा
रीती रिवाज बार तियोहार कि धोरांयण छा
ब्वन्न-बच्याण अर पढ़ण-लिखणा मा
त्वे थे अपड़ी ही शरम किले ऐजाँदी जाँदी

बगत अपड़ो काम करलो तू अपड़ो कैदेई
द्वि डंडा आखार का तू बि वै मां जोड़ जैई
इतगा पुराणी संस्कर्ति  तू जोड़े कि राखि
त्वे जानू नि हुलु रे यख  यन बड़ भागी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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