इतगा छितगा
इतगा छितगा कैन छितैई
छितरा ह्वैकि क्या तिळ पाई
त्येरि पीड़ा तेमा ही राई
बोई तिल खैरी खैकि क्या पाई
अफु नि खै मि ते खिलैई
अध् पोटि रै कन बुक मितेई
रातबियांणामा उठिदि तू रैई
आंख्युं सैलि पौडी कैते जग्वाई
कबि ख्वोली गिच्ची मि नि देकि
अप्डी पिडां ते अफि मा लुकेई
डाळयूं कि टुक्येंड्यू मा घास कु गैई
छर भूँया लमडी अप्डू ह्टगु टूटैई
त्वै छोड़ि त्यारा परदेसुमा बसिगैनि
रूण झुण बरखा सि किलै तू रुणि
हेरदा बाटा आज कैते खोज्याण
हेरदा हेरदा बोई त्यारा खुत्युँ सेवा लाण
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी


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