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क्या तस्वीर खींचता रह जाएगा


क्या  तस्वीर खींचता रह जाएगा

जलते जंगल जाना  मंगल
कौन पूछेगा सवाल किसे
उलझे पड़े हैं  जवाब सभी
मौन खड़े हैं विचार सभी

जब अपनों को बचा ना पायेगा
हाथ तेरे क्या आएगा
हर पल तो अक्षम खड़ा रह जाएगा
वो लूटने  आया है वो लूट ले जाएगा

कैसी सदियों की विडंबना है
राख होते हैं भविष्य बस सवेदना है
आंखें छलकती लाचार खड़ी हुई
पिटती  छाती और झुलसी  हुई

इतना निर्बल मन है तेरा क्षीण  है तू
कहता है बाहुबली सा वीर है तू
मोबाइलों से तस्वीर लेने में तू लगा रहा
इंसानियत का अस्तित्व तेरा  छिपा रहा

आगा तेरे घर तक जब तक ना पहुँचेगी
जब  तक तू इस दर्द से ना खुद कहरायेगा
ऐ  दर्द का मंजर तू ना महसूस कर पायेगा
देखूंगा तभी भी तू
क्या  तस्वीर खींचता रह जाएगा  ... ३

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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