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भाग३५ घपरोल

भाग ३५

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी," म्यार फून कख धार तिन. मिलणू नि च."
श्रीमती," नै ल्याऊं छाइ जू'"
श्रीमान जी," हाँ. वि ही. तीन दिन बिटी मि कुछ कानी किस्सा भी नि लेखि सकू."
श्रीमतीजी," अरे वू त मि तुमार विं पुष्पा पातर बौ तैं गिफ्ट देकि आइ ग्यूं वे दिन. विं जलमबार पर."
श्रीमान जी," क्या! तेरह हजारो फून च वू."
श्रीमती जी," इतना मैंगो फून! ल्या त मिन बि अपार फून तोड़ि याल. अब मिखुणि पंदरह हजार से कम नि लेन
जब विं पातर ते तेरह हजारो फू द्याई त."
श्रीमान जी," मिन कख दै. वू त.तिन हि. .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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