भाग ५४
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" "
श्रीमती जी,"आज क्या कमाऽल व्हाई। धरमू सुबेर-सुबेर तैयार भि ह्वै ग्याइ।"श्रीमान जी,"कमाऽल त भौल हुण।जब ब्वारी वापस आलि मैत बिटीक।"श्रीमती जी,"क्या मतबल तुमारो?"श्रीमान जी,"अरे!आज धरमू सासुर जाणू. ब्वारी लाणो. तबि त मेकअप कैरिक तैयार ह्वै ग्याई। अर भौल ब्वारी जैया मैड रुलाणौ बाबत् पूछालि।"श्रीमती जी,"हे धरमू। नाश्ता कैरिक जै। अर एक लड्डू डब्बा भि त ला बजार बिटी।"धरमू," कोई जरुरत नहीं। पुष्पा ताई पहाड़ी दाल की भरवां पूरी बना रही है और गुलाब जामुन भी मेरे सास के लिये ।आपको तो कुछ आता नहीं वो क्या कहते हैं "भरवा स्वाल"बनाने लोबिया के।ताई से बात हो रखी है आपकी बहू की।"श्रीमान जी,"ब्वा। बौ खुणि बोलि द्वी स्वाल अर चार गुलाब जामुन मिखुणी भि भिजौ बल।"श्रीमती,"हे भगवान। आज तक भुखि राखो तुम मिन. क्वी जरुरत नि वीं पुष्पा पातरक स्वाल खाणौ। जणि क्या मंतर तंतर कैरिक खिलायुं तुम सभ्यूं तैं। अब मेरी समधण तै भि आपर लूण खिलाणी।"श्रीमान जी,"चुप रै तू। जब बिटी मेरी ब्वै स्वरगबासी ह्वाई मिन भुर्यां स्वाल नि खै।पुष्पा बौ तैं त सबकुछ आंद।मिन कति बेर खैंन।"धरमू," आप लोग तो बस. पापा जी,दो हजार रुपये देना जरा-गाड़ी में पेट्रोल डलवाना है। मेरा क्रेडिट,कार्ड आपकी बहू ले गई।"श्रीमान जी," आपर ब्वै मान मांग। ब्यौ मा बच्या रुप्या वींक ही धर्यां।"श्रीमती," मिमा हि त दियूं तुमार खजानो. दस अर बीस क पचास सौ नै नोट ह्वाल।"धरमू," छोड़ो यार। तुम तो हिसाब ही करते रहोगे। पुष्पा ताई से ही ले लूंगा।" बाय -बाय।"श्रीमती जी,"करे द्य्याइ न बेइज्जति। अब वीं तुमार पुष्पा बौ न सर्रा दून्या मा ढिंढोरा पिटण कि लड़िक ब्वारी तैं कल्यो भि नि दींदी, समधणो ससकण्डि भि वैनि ही भ्याज अर पेट्रोल क पैंसा भि नि दीणा लड़िक ब्वारी तैं अर वूंक लाखो तनख्वाह आफिक खै जाणा छन।"श्रीमान जी,"त्यार हौर कुछ काम नि च। हर बात मा पुष्पा बौ क नौं घुसेड़ दींद। मि जर्रा बजार जांदू दूध अर डबल ब्रेड लेकि आंदू।"अब फिर झूठ नि बोलि कि मि मैत जाणू।पर मिन त कुछ नि बोली।
श्रीमती जी,"आज क्या कमाऽल व्हाई। धरमू सुबेर-सुबेर तैयार भि ह्वै ग्याइ।"
श्रीमान जी,"कमाऽल त भौल हुण।जब ब्वारी वापस आलि मैत बिटीक।"
श्रीमती जी,"क्या मतबल तुमारो?"
श्रीमान जी,"अरे!आज धरमू सासुर जाणू. ब्वारी लाणो. तबि त मेकअप कैरिक तैयार ह्वै ग्याई। अर भौल ब्वारी जैया मैड रुलाणौ बाबत् पूछालि।"
श्रीमती जी,"हे धरमू। नाश्ता कैरिक जै। अर एक लड्डू डब्बा भि त ला बजार बिटी।"
धरमू," कोई जरुरत नहीं। पुष्पा ताई पहाड़ी दाल की भरवां पूरी बना रही है और गुलाब जामुन भी मेरे सास के लिये ।आपको तो कुछ आता नहीं वो क्या कहते हैं "भरवा स्वाल"बनाने लोबिया के।ताई से बात हो रखी है आपकी बहू की।"
श्रीमान जी,"ब्वा। बौ खुणि बोलि द्वी स्वाल अर चार गुलाब जामुन मिखुणी भि भिजौ बल।"
श्रीमती,"हे भगवान। आज तक भुखि राखो तुम मिन. क्वी जरुरत नि वीं पुष्पा पातरक स्वाल खाणौ। जणि क्या मंतर तंतर कैरिक खिलायुं तुम सभ्यूं तैं। अब मेरी समधण तै भि आपर लूण खिलाणी।"
श्रीमान जी,"चुप रै तू। जब बिटी मेरी ब्वै स्वरगबासी ह्वाई मिन भुर्यां स्वाल नि खै।पुष्पा बौ तैं त सबकुछ आंद।मिन कति बेर खैंन।"
धरमू," आप लोग तो बस. पापा जी,दो हजार रुपये देना जरा-गाड़ी में पेट्रोल डलवाना है। मेरा क्रेडिट,कार्ड आपकी बहू ले गई।"
श्रीमान जी," आपर ब्वै मान मांग। ब्यौ मा बच्या रुप्या वींक ही धर्यां।"
श्रीमती," मिमा हि त दियूं तुमार खजानो. दस अर बीस क पचास सौ नै नोट ह्वाल।"
धरमू," छोड़ो यार। तुम तो हिसाब ही करते रहोगे। पुष्पा ताई से ही ले लूंगा।" बाय -बाय।"
श्रीमती जी,"करे द्य्याइ न बेइज्जति। अब वीं तुमार पुष्पा बौ न सर्रा दून्या मा ढिंढोरा पिटण कि लड़िक ब्वारी तैं कल्यो भि नि दींदी, समधणो ससकण्डि भि वैनि ही भ्याज अर पेट्रोल क पैंसा भि नि दीणा लड़िक ब्वारी तैं अर वूंक लाखो तनख्वाह आफिक खै जाणा छन।"
श्रीमान जी,"त्यार हौर कुछ काम नि च। हर बात मा पुष्पा बौ क नौं घुसेड़ दींद। मि जर्रा बजार जांदू दूध अर डबल ब्रेड लेकि आंदू।"
अब फिर झूठ नि बोलि कि मि मैत जाणू।
पर मिन त कुछ नि बोली।


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