भाग ५३
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" "
श्रीमती जी," हे धरमू! ब्यौक बाद आज मौका मिलणू त्वै ते हमार दगड़ बैठणू।"धरमू," मम्मी जी, आजकल वर्क फ्रोम होम में रात की शिफ्ट है।ट्रेनिंग' विडियो कान्फ्रेस ,मीटिंग चल रही हैं आजकल। शादी से एक हफ्ता पहले ही तो न्यू कम्पनी ज्वाइन करी है और दिन में हम दोनों को सोना भी तो है. तो बैठूं कब?"श्रीमान जी,"देखि याल ।अब यू भि गढवालि भुलि ग्याइ अर माँ जी क जगा पर मम्मी बुलण शुरु कैरि याल।"श्रीमती जी,"हमार धरमू खुणि कुछ नि ब्वाला जी। धरमू न भि त उन्नति कन।सदानि गढवालि ही बुलणू रैन वैन। तुमार तरां जख्या तख्खि नि रैण वैन।"श्रीमान जी," ओ! अब सोमाबार खुणि ल्यालि तेरी खबर ब्वारी अर पुष्पा बौ। तैन जया मैड तैं रुल्येक भगै द्य्याइ ब्यालि। सोमबारै जाणु धरमू सासुर ब्वारी लाणो।"श्रीमती जी," क्या ब्वाल तुमन। कैक हिम्मत च । धरमू बेटा त्वी बता मिन गलत ब्वाल क्या?काम कुछ ना अर रुप्या पूरु पाँच हजार। जरुर यूंक पुष्पा बौक हमतें ठगाणो चाल च।"धरमू," मम्मी जी, उसका डिसीजन सही होता है हमेशा। आपने दस दिन में देख लिया उसका हर चीज का मैनेजमेंट । आपको भी फालतू एक शब्द नहीं बोलने देती। चाहे तो पापा से पूछ लो।"श्रीमान जी," अबे!मिन क्या बुलण। तेरी ब्वैक मैनेजमैंट त हौर भि सख्त च।मिते कुछ नि बुलण दिंद।".श्रीमती जी," अब तुम भि यूं की भाषा बुलणो छवा। तुम तीन्नू क, न चार्यूंक इक्का ह्वे ग्याइ ।मिन त नि रुकण अब यख एक दिन भि।ब्वारी क आंद ही मैत चलि जाण।"श्रीमान जी," पर हम त तीन छवां ।यू चौथू क्वा च?श्रीमती जी,"चौथी वा तुमार पुष्पा बौ ।वीन ही त आपर जासूस भेजि याल हमार घार मैड बणैक।!श्रीमान जी," वीं बेचारी पुष्पा बौ तैं बीच मा नि घसीट फिर तू। चाहे तू आज ही चलि जा।बत्तीस साल ह्वै गैन सुणद- सुणद।पर मिन त कुछ नि ब्वाल. . .
श्रीमती जी," हे धरमू!
ब्यौक बाद आज मौका मिलणू त्वै ते हमार दगड़ बैठणू।"
धरमू," मम्मी जी, आजकल वर्क फ्रोम होम में रात की शिफ्ट है।ट्रेनिंग' विडियो कान्फ्रेस ,मीटिंग चल रही हैं आजकल। शादी से एक हफ्ता पहले ही तो न्यू कम्पनी ज्वाइन करी है और दिन में हम दोनों को सोना भी तो है. तो बैठूं कब?"
श्रीमान जी,"देखि याल ।अब यू भि गढवालि भुलि ग्याइ अर माँ जी क जगा पर मम्मी बुलण शुरु कैरि याल।"
श्रीमती जी,"हमार धरमू खुणि कुछ नि ब्वाला जी। धरमू न भि त उन्नति कन।सदानि गढवालि ही बुलणू रैन वैन। तुमार तरां जख्या तख्खि नि रैण वैन।"
श्रीमान जी," ओ! अब सोमाबार खुणि ल्यालि तेरी खबर ब्वारी अर पुष्पा बौ। तैन जया मैड तैं रुल्येक भगै द्य्याइ ब्यालि। सोमबारै जाणु धरमू सासुर ब्वारी लाणो।"
श्रीमती जी," क्या ब्वाल तुमन। कैक हिम्मत च । धरमू बेटा त्वी बता मिन गलत ब्वाल क्या?काम कुछ ना अर रुप्या पूरु पाँच हजार। जरुर यूंक पुष्पा बौक हमतें ठगाणो चाल च।"
धरमू," मम्मी जी, उसका डिसीजन सही होता है हमेशा। आपने दस दिन में देख लिया उसका हर चीज का मैनेजमेंट । आपको भी फालतू एक शब्द नहीं बोलने देती। चाहे तो पापा से पूछ लो।"
श्रीमान जी," अबे!मिन क्या बुलण। तेरी ब्वैक मैनेजमैंट त हौर भि सख्त च।मिते कुछ नि बुलण दिंद।".
श्रीमती जी," अब तुम भि यूं की भाषा बुलणो छवा। तुम तीन्नू क, न चार्यूंक इक्का ह्वे ग्याइ ।मिन त नि रुकण अब यख एक दिन भि।ब्वारी क आंद ही मैत चलि जाण।"
श्रीमान जी," पर हम त तीन छवां ।यू चौथू क्वा च?
श्रीमती जी,"चौथी वा तुमार पुष्पा बौ ।वीन ही त आपर जासूस भेजि याल हमार घार मैड बणैक।!
श्रीमान जी," वीं बेचारी पुष्पा बौ तैं बीच मा नि घसीट फिर तू। चाहे तू आज ही चलि जा।बत्तीस साल ह्वै गैन सुणद- सुणद।
पर मिन त कुछ नि ब्वाल. . .


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