भाग ६४
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" "
श्रीमान जी," पता नि। क्य रिंगणि छै। पर एक कप चा नि बणै सगद। सी आठ बजि गैन सुबेरो आज।वनि बि जाड्डू हुयूं आज।"श्रीमती जी,"ना । आफिक बणै ल्याव वांक दैं त फौंदार बणि रैंद । तुमारि पाकणि खाणि-पीणि ,निंद अर ह. . । किले बंद हुंई अचकाल द्वि दिन बिटी।"श्रीमान जी,"जादा कानी नि सुणो। इन बतौ कि तू क्य बम फुणिं वालि छै ब्यालि। भौत धमकी दीणी छे कि ,"जमीन खिसक जायेगी तुम दोनों के नीचे से"।श्रीमती जी,"फण्ड फूको. मि चा बणोंद आफखुणि ।तुमार त पेट खराब च। इनि लगणू मिते।"श्रीमान जी ,"चा तब बणेल. पेलि बतौ कि क्य बोलि वीं नेगी जिक घरवालि न तैंमा हमार बारा मा।"श्रीमती जी," जादा ही आतुरि आईं च । त इन बतावा कि तुमन पिक्चर हाॅल मा आखरी पिक्चर कब देखि छे?"श्रीमान जी," करीब द्वी या तीन साल पेलि। रिटायर होने से पहले की बात होगी बल।"श्रीमती जी," अब हिंदी शुरु ! हैं।पुराण जमानु याद आई ग्या क्या!पिक्चर कू नाम क्य छै।?"हम आपके हैं कौन?" कखि या पिक्चर त नि छै।श्रीमान जी ,"शैद. पर.तू वकिलो तरां सवाल किले करणि छै। सीधा वीं बात बतौ।"श्रीमती जी," अर् पिक्चर हाॅल छ्याई -" प्लाजा, क्नाट प्लेस।"श्रीमान जी," मिते याद नि। ""पर ऐसे त्यार वीं बात से याँक क्य संबध।!श्रीमती जी," संबंध है मि लार्ड! दगड़ मा कू, कू छ्याइ बगल क सीट मा?"श्रीमान जी," मि अबि आंदू! म्यार पुटुक मरोड़ उठणि. . . । हे ब्वै क्य ह्वै ह्वाल . . श्रीमती जी," अबि क्या ह्वाई। ह्वाल त अब हौर खराब ह्वाल जब मि ऐथरो सवाल पूछलू. . .श्रीमान जी," मि नि दिणा क्वि सवालो जवाब . क्य मतबल .हे ब्वे. . मरोड़ जादा ही हुणि!"मि फट जांदु अर झट आंदु, न भै झट जांदु अर फट आंदु. . हे ब्वै मरोड़ दगड़ गुड़गुड़ करणि पुटकि।श्रीमती जी," अबि सब भैर निकलि जालु।म्यार सवाल जब प्रुफ अर् गवाह दगड़ि सामणि आलाऽ।तब चितेलि. मिन तुमारि सर्रा दुन्या मा . . . .
श्रीमान जी," पता नि। क्य रिंगणि छै। पर एक कप चा नि बणै सगद। सी आठ बजि गैन सुबेरो आज।वनि बि जाड्डू हुयूं आज।"
श्रीमती जी,"ना । आफिक बणै ल्याव वांक दैं त फौंदार बणि रैंद । तुमारि पाकणि खाणि-पीणि ,निंद अर ह. . । किले बंद हुंई अचकाल द्वि दिन बिटी।"
श्रीमान जी,"जादा कानी नि सुणो। इन बतौ कि तू क्य बम फुणिं वालि छै ब्यालि। भौत धमकी दीणी छे कि ,"जमीन खिसक जायेगी तुम दोनों के नीचे से"।
श्रीमती जी,"फण्ड फूको. मि चा बणोंद आफखुणि ।तुमार त पेट खराब च। इनि लगणू मिते।"
श्रीमान जी ,"चा तब बणेल. पेलि बतौ कि क्य बोलि वीं नेगी जिक घरवालि न तैंमा हमार बारा मा।"
श्रीमती जी," जादा ही आतुरि आईं च । त इन बतावा कि तुमन पिक्चर हाॅल मा आखरी पिक्चर कब देखि छे?"
श्रीमान जी," करीब द्वी या तीन साल पेलि। रिटायर होने से पहले की बात होगी बल।"
श्रीमती जी," अब हिंदी शुरु ! हैं।पुराण जमानु याद आई ग्या क्या!पिक्चर कू नाम क्य छै।?
"हम आपके हैं कौन?" कखि या पिक्चर त नि छै।
श्रीमान जी ,"शैद. पर.तू वकिलो तरां सवाल किले करणि छै। सीधा वीं बात बतौ।"
श्रीमती जी," अर् पिक्चर हाॅल छ्याई -
" प्लाजा, क्नाट प्लेस।"
श्रीमान जी," मिते याद नि। ""पर ऐसे त्यार वीं बात से याँक क्य संबध।!
श्रीमती जी," संबंध है मि लार्ड! दगड़ मा कू, कू छ्याइ बगल क सीट मा?"
श्रीमान जी," मि अबि आंदू! म्यार पुटुक मरोड़ उठणि. . . । हे ब्वै क्य ह्वै ह्वाल . .
श्रीमती जी," अबि क्या ह्वाई। ह्वाल त अब हौर खराब ह्वाल जब मि ऐथरो सवाल पूछलू. . .
श्रीमान जी," मि नि दिणा क्वि सवालो जवाब . क्य मतबल .हे ब्वे. . मरोड़ जादा ही हुणि!
"मि फट जांदु अर झट आंदु, न भै झट जांदु अर फट आंदु. . हे ब्वै मरोड़ दगड़ गुड़गुड़ करणि पुटकि।
श्रीमती जी," अबि सब भैर निकलि जालु।म्यार सवाल जब प्रुफ अर् गवाह दगड़ि सामणि आलाऽ।तब चितेलि. मिन तुमारि सर्रा दुन्या मा . . . .


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