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भाग ४३घपरोल

भाग ४३

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी," धरमूक ब्यौ त छैं ही च पर वै से पैलि दिवालि अाणि च। सि पंखा कतना कल्या बणा छिन। जन तुमर मुख ह्यूं अजक्याल काऽलू । पुष्पा बौ मैत ग्याइ जब बिटी आपर भै क ब्यौ मा।"
श्रीमान जी," म्यार बसौ नि इतना ऊच पंहुचिक पंखा साफ करण।देखि ले! फिर पुष्पा बौ तैं बीच मा नि ला। "
श्रीमती जी," ई मेरि ब्वै!ज्वानि मा त बुल्द छाइ' "तू क्या चिताती है। मि तो तेरे लिये असमान के तारे बि तोड़ लाऊं"। अब असमान नि जाण . नौ फिट ऊंचें क पंखा बि साफ नि हुणू तुमसे।
श्रीमान जी," अरे मिते गुस्सा नि दिला। एक हुंद त मि तखत मा कुर्सी धेरिक साफ कैरि दिंदू। पर,है आपरी ब्वै छह पंखा । कैन कैरि सकणा इतना सर्रा । कमर लचकै जाऽलू म्यार।"
श्रीमती जी," डाक्टरों बोलि छ्याइ कि थ्री बेचिक फ्लैट ल्याव . मिन पैलि बोलि छ्याइ कि वन बेचिक फ्लैट खरिदवा।"
श्रीमान जी,'" जब अंगरेजी नि अौंदि त जरुरी च बुलण। थ्री बी एच के हुंद न कि थ्री बेचिक फ्लैट ।"
ठिक भुनि छै ।तिन पैलि बार आज अकल कि बात कैरि। ये फ्लैट बेचिक वन बी एच के लिंदू। कुछ पैंसा धरमू क ब्यौ मा बि काम आऽल।"
श्रीमती जी," हे मेरि पितलि गिच्चि। अब ब्याचा हैं !जब हमार धरमू क ब्यौ हुणौ। एक कमरा ब्योला -ब्योलि क ,एक मिखुणि अर एक मेहमानों खुणि।"
श्रीमान जी," अर मिखुणि क्वी कमरा ना। जैक म्यार रुप्या लग्यां छन। अब त मिन यू फ्लैट बेचिक ही चैन लीण।"
श्रीमती जी(रुंद-रुंद)," है भगवान! जू कुछ कना। मि कौन से नौकरी करदु। मि त धरमू क ब्यौ तक रुक्यूं छौं
. जनि बरात वापस अर मिन मैत भागि जाण। तब चाटिक खैन आपरु थ्री बेचिक फ्लैट ।"
श्रीमान जी," बत्तीस साल व्हैगिन सुणद -सुणद। आज तक तू भागि नि छै मैत। अबि जा ।
पर मिन त कुछ बि नि ब्वाल . . . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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