भाग ४२
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" "
श्रीमान जी," जाड्डु शुरु ह्वै ग्या। म्यार वू गरम ट्रेक सूट क पजामा नि मिलणा द्वी क द्वी। पंद्रह सौ रुप्या ल्यायां छ्याइ म्यार चांदनी चौक बिटी। पिछल साल ।"श्रीमती जी," वांक त मिन अद्धा काटिक आपरु धरमूं खुणि बमराड़ा बणै याल छ्याइ।"श्रीमान जी," त्यार दिमाग खराब च क्या। बरमोड़ा बुल्दान वै खुणि। पड़ोसी बमराड़ा भैजी सुणाल त गुस्सा व्हाल मैं पर. कि तेरी जनानि वूंक नाम किले लिणी छै।"श्रीमती जी," दिमाग म्यार न बल्कि तुमार अकल खराब ह्वै ग्याइ। धरमू पिछल साल बिटी पैथर पुण्यूं छ्याइ कि वै खुणि द्वी क्या बुल्दान बरमाड़ा लाव। एक त मिन नै बरमाड़ा क पैंसा बचै देन।"श्रीमान जी," तेरी खुपरी त त्यार गौं ही रै ग्याइ जहरीखालो भ्यालुंदन। अरे म्यार पंद्रह सौ क लायां ट्रेक सूटो पैंसा बि त काटिक बरबाद कैरि याल तीन।"श्रीमती जी," है भगवान।अर बरमोड़ा क पैंसा जू बचैन। वांक हिसाब नि लगाण क अकल तुमार कै भ्यालूंद प्वाड़ ।श्रीमान जी," मि बि यार कख छौं भैंस क ऐथर बीन बजाणू।"श्रीमती जी," भैंस व्हैलि वा तुमारि पातर पुष्पा बौ। जो तुमतें यन उल्टू -पुल्टू आणा -बीणा पढाणि रैंद।"श्रीमान जी," तू फिर पुष्पा बौ तैं बीच मा नि ला। वीं विचारीन क्या पढाण। एम ए पास सुदि छौं क्या मि।"श्रीमती जी," हे भगवान। वा विचारी अर मि भैंस। मि त धरमू ब्यौ तक रुक्यूं छौं निथर मिन कैदिन मैत भागि जाण छ्याइ।"श्रीमान जी," बत्तीस साल ह्वै गैन सुणद सुणद यू डायलॉग । आज तक त भागि नि छै।अबि चलि जा मैत।पर मिन त कुछ नि ब्वाल. . . .
श्रीमान जी," जाड्डु शुरु ह्वै ग्या। म्यार वू गरम ट्रेक सूट क पजामा नि मिलणा द्वी क द्वी। पंद्रह सौ रुप्या ल्यायां छ्याइ म्यार चांदनी चौक बिटी। पिछल साल ।"
श्रीमती जी," वांक त मिन अद्धा काटिक आपरु धरमूं खुणि बमराड़ा बणै याल छ्याइ।"
श्रीमान जी," त्यार दिमाग खराब च क्या। बरमोड़ा बुल्दान वै खुणि। पड़ोसी बमराड़ा भैजी सुणाल त गुस्सा व्हाल मैं पर. कि तेरी जनानि वूंक नाम किले लिणी छै।"
श्रीमती जी," दिमाग म्यार न बल्कि तुमार अकल खराब ह्वै ग्याइ। धरमू पिछल साल बिटी पैथर पुण्यूं छ्याइ कि वै खुणि द्वी क्या बुल्दान बरमाड़ा लाव। एक त मिन नै बरमाड़ा क पैंसा बचै देन।"
श्रीमान जी," तेरी खुपरी त त्यार गौं ही रै ग्याइ जहरीखालो भ्यालुंदन। अरे म्यार पंद्रह सौ क लायां ट्रेक सूटो पैंसा बि त काटिक बरबाद कैरि याल तीन।"
श्रीमती जी," है भगवान।अर बरमोड़ा क पैंसा जू बचैन। वांक हिसाब नि लगाण क अकल तुमार कै भ्यालूंद प्वाड़ ।
श्रीमान जी," मि बि यार कख छौं भैंस क ऐथर बीन बजाणू।"
श्रीमती जी," भैंस व्हैलि वा तुमारि पातर पुष्पा बौ। जो तुमतें यन उल्टू -पुल्टू आणा -बीणा पढाणि रैंद।"
श्रीमान जी," तू फिर पुष्पा बौ तैं बीच मा नि ला। वीं विचारीन क्या पढाण। एम ए पास सुदि छौं क्या मि।"
श्रीमती जी," हे भगवान। वा विचारी अर मि भैंस। मि त धरमू ब्यौ तक रुक्यूं छौं निथर मिन कैदिन मैत भागि जाण छ्याइ।"
श्रीमान जी," बत्तीस साल ह्वै गैन सुणद सुणद यू डायलॉग । आज तक त भागि नि छै।अबि चलि जा मैत।
पर मिन त कुछ नि ब्वाल. . . .


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