भाग ४४
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" "
श्रीमती जी," कन बिजोग प्वाड़। स्यू घाम मुण्ड मा चैड़ि ग्याइ। खड़ु व्हाव मिन ब्वाल. नौ बजि गैन सुबेरो ।"श्रीमान जी," थ्वड़ा देर हौर सिण दी यार । आज सुबेर पांच बजि त सै ही छौं मि।"श्रीमती जी,' भद्वाड़ जायां छ्याइ क्या? रात भर वै फोन पर फेसबुक चलाणु रौंदा। क्य चिपक्या रंदौ रात- दिन मोबाइल पर । सै नि सकद छ्याइ टैम पर।श्रीमान जी," अरे कानी लिखणू रौंद। ब्यालि बि एक बढिया कानी ल्याख।"श्रीमती जी," कानी लिखणू छ्याइ बल.। तुम हि त बणदा अब कालीदास। वू त ज्वानि मा हि भागि गै छ्याइ पर तुम नि भागा। क्वा कानी च । मिते बि सुणा जरा।"श्रीमान जी ," घपरोल ।"श्रीमती जी ," क्य उल्टू नाम धर्यूं कानी कू "घपरोल"। पूरु सुणाव।श्रीमान जी ," नि सुणे सकदू त्वेते। "श्रीमती जी," इन कानी लिखद हि क्या खुणि छाव ।जू हम जनान नि सुणि सकद।फेसबुक लाइव कार्यक्रम मा त खूब सुणादा। मिन त सुण ही च आज कानी बस। पता त चाल आज कि तुम क्या लिखणो रैंदा अर क्या दिखणो रैंदा वे फेसबुक मा।"श्रीमान जी,"अगर मिन सुणै त"' घपरोल " ह्वे जाण। अरे अपार पुष्पा बौ आई ग्या आपर मैत बिटी। कतना लुटरी- कुटरी ,सामान च बौ मा। मि अबि आंदू बौ मुण्डो समान उतारिक।"श्रीमती जी," घार त आवा । बौ मुण्डो भार उतारिक। तुमार मुण्ड मिन आज भारि नि कार त मि आपर बुबो बेटी नि छौं। '" श्रीमान जी," मिन त कुछ नि बोलि. . . अबि आंदू बौक गिलास भौरिक अदरको चा स्वाद लैकि. . .
श्रीमती जी," कन बिजोग प्वाड़। स्यू घाम मुण्ड मा चैड़ि ग्याइ। खड़ु व्हाव मिन ब्वाल. नौ बजि गैन सुबेरो ।"
श्रीमान जी," थ्वड़ा देर हौर सिण दी यार । आज सुबेर पांच बजि त सै ही छौं मि।"
श्रीमती जी,' भद्वाड़ जायां छ्याइ क्या?
रात भर वै फोन पर फेसबुक चलाणु रौंदा। क्य चिपक्या रंदौ रात- दिन मोबाइल पर । सै नि सकद छ्याइ टैम पर।
श्रीमान जी," अरे कानी लिखणू रौंद। ब्यालि बि एक बढिया कानी ल्याख।"
श्रीमती जी," कानी लिखणू छ्याइ बल.। तुम हि त बणदा अब कालीदास। वू त ज्वानि मा हि भागि गै छ्याइ पर तुम नि भागा। क्वा कानी च । मिते बि सुणा जरा।"
श्रीमान जी ," घपरोल ।"
श्रीमती जी ," क्य उल्टू नाम धर्यूं कानी कू "घपरोल"।
पूरु सुणाव।
श्रीमान जी ," नि सुणे सकदू त्वेते। "
श्रीमती जी," इन कानी लिखद हि क्या खुणि छाव ।जू हम जनान नि सुणि सकद।फेसबुक लाइव कार्यक्रम मा त खूब सुणादा। मिन त सुण ही च आज कानी बस। पता त चाल आज कि तुम क्या लिखणो रैंदा अर क्या दिखणो रैंदा वे फेसबुक मा।"
श्रीमान जी,"अगर मिन सुणै त"' घपरोल " ह्वे जाण।
अरे अपार पुष्पा बौ आई ग्या आपर मैत बिटी। कतना लुटरी- कुटरी ,सामान च बौ मा। मि अबि आंदू बौ मुण्डो समान उतारिक।"
श्रीमती जी," घार त आवा । बौ मुण्डो भार उतारिक। तुमार मुण्ड मिन आज भारि नि कार त मि आपर बुबो बेटी नि छौं। '"
श्रीमान जी," मिन त कुछ नि बोलि. . . अबि आंदू बौक गिलास भौरिक अदरको चा स्वाद लैकि. . .


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