भाग ५१
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" "
श्रीमती जी," याँ कख छवा तुम। टैम्पो वालु बुलाणू तुमते । हमार गेट पर खड़ू कर्यूं। पर्चा मा धरमू क नौं लिख्यूं अर बरिक किनार पर पुत्र श्री जगा पर तुमार नौं लिख्यूं जन बुलेन जबरदस्ती।"श्रीमान जी," कू टैम्पू। मिन त कुछ नि मंगै. !मि कानी लिखणू छौं फिर बिसरी जौल। ये धरमूक बच्चा न गाड़ी जन क्वी हौर चीज त नि मंगै उधार किस्तों मा बैंक बिटी अर फिर किस्त मि भुन्नू रौल।!श्रीमती जी," फण्ड फूको तैं कानी। तुमार त जिंदगी ही कानी च. पर्चा डबल बैड दिवान कू बिल च।"श्रीमान जी," डबल बैड दिवान टाइप ,कैन मंगै?"श्रीमती जी," तुम मि सै कतगा प्यार करदा। ब्यलि मिन हल्ला मचै छ्याही कि म्यार बैड ब्यौलि ब्यौला तै दि याल. अर तुमन नै खबसूरत डिजाइनदार दिवान टेप डबल बैड मि खुणि मंगै भी याल।"श्रीमान जी," प्यार त्यार कपाल।पचास हजारो बिल च यू। चोट त म्यार मुण्ड पर लग न ।फोन नम्बर त धरमूक दियूं अर पैंसा द्य्यूं मि।"श्रीमती जी," धरमू अर वैक ब्वारी ब्यालि तुमार पुष्पा बौ क ध्वार जैंया छ्याइ बगल मा आशीर्वाद लिणा। जरुर वीं पातर न ही अब मेरी ब्वारी बखलाण भि शुरु कैरि याल।!श्रीमान जी," तू फिर वीं विचारी पुष्पा बौ तैं बीच मा नि ला। मिन ही भेजि छ्याई ब्यौलि-ब्यौला बौ क आशीर्वाद लिणाकु।अब बौ खुश ह्वै ग्याई। निथर तिन त आग मा मिट्टी क तेल हौर डाऽलन छ्याई।"(ब्वारिक प्रवेश)ब्वारी," माँ जी. आप परेशान न हों. ये बैड मैंने मंगाया है ।और पेमेंट भी कर दी आन लाइन। अच्छी भलि तनख्वाह है मेरी । तो मेरा भी अपने घर के लिये कुछ फर्ज है। मैं अब इस घर की बेटी हूँ।आज से घर की चिंता मेरी। आप लोग घूमो फिरो ।हाँ माँ जी , आप पुष्पा ताई जी को कुछ मत बोलो। वो बहुत अच्छी लगी मुझे। बहुत प्यार किया। ग्यारह सौ रुपये मुंह दिखाई भी दी।"श्रीमान जी," भौत बढिया बेटा। तुम भितर जाव। मि उतरै दिंदू डबल बैड। ठिक भुना छाव पुष्पा बौ बरोबर त क्वी भि नी। या त सुदि उल्टू सुल्टू सुणिक बकबास कन्नि रैंद।"श्रीमती जी," मिन ब्वारी तैं आपर गौंक मंदिरों दर्शन करैक मैत भागि जाण। तब चाहे तुम आग मा घी डालो या मिट्टी क तेल। एक दिन नि रुक्यणया।"श्रीमान जी", आज हि चलि जा मैत पर मिन त कुछ नि ब्वाल . . .
श्रीमती जी," याँ कख छवा तुम। टैम्पो वालु बुलाणू तुमते । हमार गेट पर खड़ू कर्यूं। पर्चा मा धरमू क नौं लिख्यूं अर बरिक किनार पर पुत्र श्री जगा पर तुमार नौं लिख्यूं जन बुलेन जबरदस्ती।"
श्रीमान जी," कू टैम्पू। मिन त कुछ नि मंगै. !मि कानी लिखणू छौं फिर बिसरी जौल। ये धरमूक बच्चा न गाड़ी जन क्वी हौर चीज त नि मंगै उधार किस्तों मा बैंक बिटी अर फिर किस्त मि भुन्नू रौल।!
श्रीमती जी," फण्ड फूको तैं कानी। तुमार त जिंदगी ही कानी च. पर्चा डबल बैड दिवान कू बिल च।"
श्रीमान जी," डबल बैड दिवान टाइप ,कैन मंगै?"
श्रीमती जी," तुम मि सै कतगा प्यार करदा। ब्यलि मिन हल्ला मचै छ्याही कि म्यार बैड ब्यौलि ब्यौला तै दि याल. अर तुमन नै खबसूरत डिजाइनदार दिवान टेप डबल बैड मि खुणि मंगै भी याल।"
श्रीमान जी," प्यार त्यार कपाल।पचास हजारो बिल च यू। चोट त म्यार मुण्ड पर लग न ।फोन नम्बर त धरमूक दियूं अर पैंसा द्य्यूं मि।"
श्रीमती जी," धरमू अर वैक ब्वारी ब्यालि तुमार पुष्पा बौ क ध्वार जैंया छ्याइ बगल मा आशीर्वाद लिणा। जरुर वीं पातर न ही अब मेरी ब्वारी बखलाण भि शुरु कैरि याल।!
श्रीमान जी," तू फिर वीं विचारी पुष्पा बौ तैं बीच मा नि ला। मिन ही भेजि छ्याई ब्यौलि-ब्यौला बौ क आशीर्वाद लिणाकु।अब बौ खुश ह्वै ग्याई। निथर तिन त आग मा मिट्टी क तेल हौर डाऽलन छ्याई।"
(ब्वारिक प्रवेश)
ब्वारी," माँ जी. आप परेशान न हों. ये बैड मैंने मंगाया है ।और पेमेंट भी कर दी आन लाइन। अच्छी भलि तनख्वाह है मेरी । तो मेरा भी अपने घर के लिये कुछ फर्ज है। मैं अब इस घर की बेटी हूँ।
आज से घर की चिंता मेरी। आप लोग घूमो फिरो ।
हाँ माँ जी , आप पुष्पा ताई जी को कुछ मत बोलो। वो बहुत अच्छी लगी मुझे। बहुत प्यार किया। ग्यारह सौ रुपये मुंह दिखाई भी दी।"
श्रीमान जी," भौत बढिया बेटा। तुम भितर जाव। मि उतरै दिंदू डबल बैड। ठिक भुना छाव पुष्पा बौ बरोबर त क्वी भि नी। या त सुदि उल्टू सुल्टू सुणिक बकबास कन्नि रैंद।"
श्रीमती जी," मिन ब्वारी तैं आपर गौंक मंदिरों दर्शन करैक मैत भागि जाण। तब चाहे तुम आग मा घी डालो या मिट्टी क तेल। एक दिन नि रुक्यणया।"
श्रीमान जी", आज हि चलि जा मैत पर मिन त कुछ नि ब्वाल . . .


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