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भाग ५० घपरोल

भाग ५०

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी," पहाड़ जाण छ्याई मंदिर ।"
श्रीमान जी," जोगी माई बणौ जाणि छै क्या?"
श्रीमती जी," फकर्याण बणालि वा तुमार पातर पुष्पा बौ। जैंकि एक हफ्ता बिटी थूंथरु अल्ग्यायूं कि बरात मा नि बुल्याई."
श्रीमान जी," ठिक त विचारी बौ नराज। एक मैना तक नचाणि रै सर्रा समान खरिदणा खुणि बौ तै ।अर बरात मा खुणि तिन ना ब्वाल। मि त त्यार बुबा तै नि बुलैक बौ ते बरात मा लिजाणु छ्याई।"
श्रीमती जी," जादा बकबास नि कारा. काम धाम कुछ ना । अर तुम रोज वी तैं मैक डालम पीजा खलाणा राव। जिठाजी छुट्टी आयां छै जब त तुम एक दिन वूं तैं नि लिग आपर दगड़ ।"
श्रीमान जी," वै भैजी तै त मि कबि नि लिज्यौं। जाणि बुझिक म्यार हौर खर्चा कराण छ्याई वैन"
श्रीमती जी," जू ह्वाई स्यू ह्वाई। धरमू अर ब्वारी तैं गौं मंदिर लिजाणो बात करणू छौं मि।अर गौं घर्वात भि दीण।"
श्रीमान जी," अभि कखि नि जाण जब तक कोरोना वैक्सिन नि आंद। तैपर त कोरोना क असर नि हूण. किलै कि जहर पर जहरो असर नि हूंद।"
श्रीमती जी," तुमन मेखुणि कोरोना ब्वाल! मि त एक बेर ब्वारी तै गौं मंदिर दर्शन करै दिंदू त . मिन त मैत चलि जाण ।"
श्रीमान जी," मिन तैखुणि कोरोना थुड़ा ब्वाल। मि त उदाहरण दिणू छ्याई। बत्तीस साल बिटी सुणो छौं । आज तक त मैत भागि नि छै।
पर मिन त कुछ नि ब्वाल . . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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