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भाग ५२घपरोल

भाग ५२

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी," क्या ह्वाई? सुबेर-सुबेर बाखरि तरां मि मि मि फोन पर कैक सामणि छवा मिमणाना?"
श्रीमान जी,"(अच्छा बौ बाद मा ब्वारी बात कारलि। मि फून रखणू छों)-पुष्पा बौक फून छ्याइ।तू सर्रा आग लगैक आफिक ही पूछणि छै कि आग कैन लगै।"
श्रीमती जी," मिन क्या कार?क्या च वा भड़कानि। अब त नौ लिणा भि ज्यू नि करणू।"
श्रीमान जी," तिन वा जया मैड वापस किले भ्याज कि हमन काम नि कराण। वा बौ मा जैकि रुणि छै बल। बौ भौत नराज च। पता नि क्या क्या पंजाबी श्लोक बराणि छै। भुनि छै मिन त नै ब्वारिक बुल्यां पर भैजि वा । अर तुमन वीं जया क बेइज्ति कैरि द्य्याइ।"
श्रीमती जी," मिन त कुछ नि ब्वाल।पर एक बात बतौ वा। हमारो घार क मालकिन व च कि मि। हम आफिक ढूंढला मैड। वींक. .
(ब्वारिक प्रवेश)
ब्वारी," मम्मी जी ,आप लोग रोज सुबह -सुबह क्यों हल्ला मचा रहे हो. हमारी नींद डिस्टर्ब कर देते हो। दस बज गये हैं। वो जया नहीं आई आज क्या? उसने मेरे बेडरुम में चाय भेजनी थी।"
श्रीमान जी," बेटा वा . . .
श्रीमती जी(बीच मा ही)," ना नि आई। पर बेटा प्यार से गढवालि मा बच्या।"
ब्वारी," गढवाली में क्यूं? मैं गढवाली बींग जाती हूं पर बोल नि पाती। मैं अभी उसकी पंजाबी में खबर लेती हूँ। पुष्पा ताई को फोन कर उसे बुलाती हूँ। पुष्पा ताई बहुत ही अच्छी हैं कितने मुश्किल से मनाया था जया को हमारे यहाँ काम करने को।मम्मी जी आप चिल्ल करो।पापा जी ,आप क्या बोल रहे थे?"
श्रीमान जी," मिन त कुछ नि ब्वाल बेटा पर पता नि धरमू क ब्वैक बात हुणि छै गेट पर जया . . . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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