ADD

भाग ४९घपरोल

भाग ४९

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी,"तुमन ब्वारिक बुबा मा क्या बोलि ?"
श्रीमान जी," मिन त कुछ नि बोलि भै।"
श्रीमती जी," अच्छा यू कैन ब्वाल कि "कि हम त बल लड़की को एक छोटी अटेची के साथ लि जायेंगे बल।बाकी कुछ समान नि बल।"
श्रीमान जी," यू त मिन ही ब्वाल. अर आपर ब्यौ मा बि त्यार बुबा खुणि ब्वाल छ्याइ।
अर वैसा ही हुआ. जनि तू आई अपण कपड़ो छुटि अटैची लैकि तनि धरमूक व्वारी भी।"
श्रीमती जी," भै कुछ त सुचण छ्याई. बुन्न सै पैलि.?"
श्रीमान जी," क्या। न मैने कुछ त्यार बुबा से लिया और न धरमूक ससुर को कुछ देने को कहा।मि दहेज कू सख्त खिलाफ छौं।"
श्रीमती जी," अरे खिलाफ त मि बि छौं . पर तुमार कपाल मा कुछ सुचणो शक्ति कम च क्या। मिन सीण कख च।"
श्रीमान जी," क्या मतबल? जख रोज सींद छै।"
श्रीमती जी," म्यार कमरा अर डबल बैड त धरमूक ब्वारि खुणि बणाया याल तुमन?
श्रीमान जी," तिन त बोलि कि बिस्तर जरुर नै मंगै देन ब्वारी खुणि. शगुन हूंद।"
श्रीमती जी," पर बिछाण कैमा छ्याई. कपाल मा. डबल बैड बि त लाण छ्याई. "
श्रीमान जी," क्वी जरुरत नि छै. चुप पूजा वाल कमरौ दिवान मा खांथड़ी लेक सैजा। वखि आपर मोबाइल मा भजन सुणि रैन.!
मिखुणि त यू तख्त छैं च बैठक मा.
फिर तिन त बोलि छ्याई कि धरमूक ब्यौक बाद मिन मैत चलि जाण त डबल बैड कैखुणि अर क्यांखुणि लाण छ्याई"।
श्रीमती जी," मि त बेटीक विदै तक रुक्यूं छौं. वींक फ्लाइट क टिकट नि मिलणू. बस जैदिन मेरि बेटी सुसराल ग्याई अर मिन एक मिनट नि रुकण। कैब करण अर देहरादून चलि जाण आपरु मैत."
श्रीमान जी," कंदूड़ पकि गैन सुणि-सुणि.
पर मिन त कुछ नि ब्वाल . . . .


विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ