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भाग ४६घपरोल

भाग  ४६

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

.श्रीमती जी," आज खीर कुछ कड़वि लगणि च ।डाक्टर अग्रवाल बुल्दू बल अगर स्वाद कड़ु व्है जाव त यू भी कोरोना क लक्षण च। मिते त डैर लगणि ।तुम तैं कन लगणी जी" ?
श्रीमान जी," जैदिन बिटिक त्यार दगड़ ब्यौ व्हाई। मित स्वाद ही बिसरी ग्यौं। गिचु कड़ु ह्वै ग्याइ वैदिन बिटी ही। इन लगणु मिते त ब्यौ दिन से ही कोरोना च । अब मि क्या बतौं!"
श्रीमती जी," क्य मतबल। मि आफिक आयूं भागि क्य। तुमार बुबा त आई छै टिपड़ा मांगणू़।
मेरि ब्वै त ना ब्वाल छै. जबरदस्ती म्यार बुबा पटै तुमार बुबा न।"
श्रीमान जी," वैदिन बि खीर मा लूण पोड़ि ग्याइ छ्याइ।"
श्रीमती," खीर कख । मेरि ब्वै न त पकोड़ि बणै छ्याइ।"
श्रीमान जी,"तेरि समझदानि मा नि आण।म्यार बुबा त पुष्पा बौ क टिपड़ा खुणि ज्याऊं छ्याइ. वूंक कूड़ माथि ख्वाल च. त्यार बुबा मुड़ि ख्वाल म्यार पिताजि त क्या मिल कि खीर मा लूण पोडि ग्याइ।"
श्रीमती जी," अच्छा अब समझू मि।यीं पातर पुष्पा बौ भूत तबि बिटी तैं खुपरि मा बैठ्यूं च"।
श्रीमान जी," जादा बकबास नि कैर। आज बि वी ह्वाई। तीन ब्वाल जरा चाखिन खीर मा मिठू डाऽल च कि ना। मिते कम लग त मिन गलती से चिनि क जगा थ्वाड़ा लूण डालि द्य्याइ।"
श्रीमती जी," हे भगवान। तबि मिन ब्वाल खीर थ्वड़ा कड़वि किले लगणि।आज मिन तुमार भूत नि उतार त मि बि आपर बुबो बेटी नि छौं।"
श्रीमान जी," आपर गिच मा मिठास ला जर्रा त खीर बि मिठी लगालि। मिन त कुछ नि ब्वाल . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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