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भाग ३३घपरोल

भाग ३३

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी," अरे म्यार चश्मा कख च ? मि थानेदार बुलाणु थाना मा।"
श्रीमती जी," क्या कार तुमन जू थाना जाणा छवा? जरुर वीं तुमार पुष्पा बौ पातर न कम्पलेंट कैरि ह्वैलि तुमारी। हौर जावा व्वींक ध्वार " हे बौ अदरक वालि मिट्ठि चा बणै दि गिलास भौरिक". मिते त पैलि पता छ्याइ कि ये कामो न जरुर एक दिन हुण च।
श्रीमान जी," तू जादा नि बोल्या कर । हर बात पर तू पुष्पा बौ तैं किले घसिटदी।अता पता कुछ ना पता अर् हर टैम तुमारी पुष्पा बौ। त्यार धरमू च थाना मा बंद।"
श्रीमती जी,"अर् तुम भी हर बेर " त्यार धरमू , त्यार धरमू " क्या चिल्लाणा रौंदा। इन बतौ कि "न म्यारु ही च वू क्या ? तुमार नि क्या वू ? वीं त मि बाद मा पुछलू पैलि अब तुमते ही दिखोल थाना।"
श्रीमान जी ," अरे यार म्यार वू मतबल नि।"
श्रीमती जी," क्या मतबल फिर। डी०एन०ए० टेस्ट तबि करोल जब तुम भी कखिक गवर्नर बणि जैल। या धरमू म्यार दहेज मा ल्याऊं। हर टैम ," त्यार धरमून इन कैरि द्य्याइ, त्यार धरमनू उन कैरि द्य्याई। " हमार धरमू नि बोलि सकद चटेलिक।
श्रीमान जी," फण्ड फूक वै चश्मा बि । निथर तेरी बात्थों मा त म्यार कंदुण बि बंद ह्वै जाल आज। मि जांदु छौं। कखि वू पुलिस वाल त्यार धरमू तै चटक्याणा नि व्हाल।"
श्रीमती जी,_" पर कार क्या च हमार धरमून ।"
श्रीमान जी," अब मि क्या पता ?वखि जैक पता चालाल क्या कार त्यार धरमून"।
श्रीमती जी," फिर त्यार धरमू। मिन ब्वाल..."
(श्रीमान जी सरासरी भैर.। अब वापस आण पर ही पता लगालु कि क्या कार धरमून। पर यू पक्कू च फिर घपरोलन जरुर हुण..)


विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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