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भाग ८६ घपरोल

भाग ८६     

सुबेर-सुबेर घपरोल


" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी," अप्रेल मा धरमू अर वैक ब्वारी तैं गौं मंदिर दिखाण। अर तुमन गौं क मकानो टायलेट-बाथरुम भि ठिक नै करै।"
श्रीमान जी," दस-बारा दिन मा बणि जाणो छ्याइ वैन क्या।"
श्रीमती जी," मि क्वी नै बणौ बात करणु छौं। पैलि सन् 2001 मा चालिस हजार खर्च करै बणै छ्याइ। वू कैन त्वाड़।"
श्रीमान जी," मि सब पता च। तू फिर वीं छ्वी् लगै बिचारी पुष्पा बौ तैं गालि दिण चाणि छै।"
श्रीमती जी," तैं गिच्ची मा भि जब तक वीं पातरो नाम नि ओलु सुबेर-सुबेर त तुमार पेट भि नि खुलदू। हे मेरी गिच्ची" बेचारी पुष्पा बौ।"
श्रीमान जी,"पता नि कै हराम कु बच्चा न दरवाजो तोड़िक फल्श मा पत्थर भोरि देन। अर पुष्पा बौन भि नै टायलेट बणै वैक पाइप हमारो खड्डा मा घुसेड़ द्याइ।"
श्रीमती जी," मतबल खड्डा भि हमारो अर पटवारी भि तुमतैं हि पिटाणो बुलै। पर किलै?
श्रीमान जी," ऐ गै न फिर पटवारी सवाल पर।"
श्रीमती जी," आणु नि।जब तक तुम पूरी बातनि बतैल । निथर मि धरमू लेकि जांदु गौं अर वै खड्डा बंद नि करै त म्यार भि नाम नि।"
श्रीमान जी,"अरे एक दिन राति। गौंक झाबा बौ न लुब्योंक भरिं र्वटि अर एक कटोरी घी खलै द्याइ। रात सिण दफै एक गिलास भैंसो दूध गुड़ डालि पिलै द्याइ।"
श्रीमती जी," मि पूछणू छौं पटवारी क अर तुम बताणौ झाबा बौ। तुम आदिम छवा कि कुछ हौर."
श्रीमान जी," अरे पूरी बात त सुणो। अर राति म्यार पेट ह्वै गै खराब। बाघ उनि घुमणू छौं गौं मा. मिन पुष्पा बौक टायलेट तालु तोड़ी अर वख बैठि ग्यौं।"
श्रीमती जी," तुम वींक टायलेट मा ग्याइ हि किलै छौ। जंगल नि जै सकद छ्याइ।"
श्रीमान जी," रात एक बजि जंगल. जू रिख बाघ खै द्यूंद मि।तू त इनि चांदि।"
श्रीमती जी," क्वी बात नि छै पर वींक अहसान नि लिणू छै।"
श्रीमान जी," बस फिर सुबेर सुबेर पुष्पा बौन हल्ला मचै कि हमार टायलेट राति भर भोरी द्याइ।"
श्रीमती जी," फिर! तुम फिसली गै ह्वैलि। पर पटवारी किलै बुलै वीन. . .
(घपरोल जारी)
(घपरोल जारी)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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