ADD

भाग ८५ घपरोल

भाग ८५    

सुबेर-सुबेर घपरोल




" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर -सुबेर घपरोल "
श्रीमती जी," यी राम दा।आज छब्बीस जनबरि च . मिते म्यार पिताजीक याद औणि। पैलि कन आंद छ्याइ गौं बिटी बुढ्या बुढड़ि छब्बीस जनवरी दिखणो दिल्ली ।"
श्रीमान जी," क्यंक याद आणि। अबि त मुलाक़ात कैरि औणि वे बुढ्या तैं मिलिक।
श्रीमती जी," म्यार पिताजीक नामं लिंद ही तुमार थुबड़ू झण्डा सी किलै उच्च ह्वै जांद।
श्रीमान जी," जब भि मिन वे बुड्यो नाम ले। वू टप्प टपिक जांदु द्वी माल्टा क दाणि वे थैला मा डालिक।"
श्रीमती जी," मि बात करणु छौं छब्बीस जनवरी क। तुम बात करणो माल्टा की।
तुमार दिमाग त वीं पातर तुमार पुष्पा बौक खराब कर्यूं।"
श्रीमान जी," तू फिर वीं बिचारी पुष्पा बौ तैं घसीटणि छै बीच मा। मिन तैरी परैड निकाऽलि दिण आज ।"
श्रीमती जी," जादा हल्ला नि मचौ छब्बीस जनवरी परैड क घ्वाड़ौ हवालदार तरां।
यी कोरोना महामारी त्योहारों मिठास बि कम कैरि याल। मि तै परैड दिखण द्याव टीवी मा।
श्रीमान जी," म्यार त्यार आंख बंद कर्यां क्यां।फण्ड देखि लेदि। अबि शुरु कख व्हाइ।"
श्रीमती जी," तबि त अबि बिटी चुप्प कराणो छौं।ताकि तैबरीं तक स्या गिच्ची बंद ह्वै जालु.
आज धरमू खुणि बुन्न कि म्यार कमरा मा अलग टीवी लगै दी।!
श्रीमान जी,'" त्यार हि त च यू। मि त सब काम मोबाईल पर हि करदू। जरा ठण्ड कम ह्वाव त मिन गौं जाण फिर। बाथरूम अर ट्वाइलेट बणौ। चाहे मिते तहसीलदार बुलणौ प्वाड।
श्रीमती जी," जख बि जांदो । पर अबि तैं हल्ला बंद कैर. . . .
(घपरोल जारी)
विवेकानंद जखमोला शैलेश, Subhash Chandra Lakhera और 7 अन्य लोग
3 कमेंट
लाइक करें
कमेंट करें

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ