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"डॉक्टर हुस्यार-मरीज लाचार "

"डॉक्टर हुस्यार-मरीज लाचार " 


मरीज, " डॉक्टर साब,भौत दिन बिटी तबैत ठिक्क नि चलणि । इन लगणु जन बुलैं सरीर पर क्वी जान नि हो।" डॉक्टर- "बीड़ी , सिगरेट त नि पिंद तू कखि ।" मरीज -" हाँ साब। पिंदु त छैं छौं पर सिरफ दिन मा । बस बारह घण्टा मा बारह सिरगेट। राति एक बि ना " । डॉक्टर- " अबै पिण छ्वेडि दी। एक हफ्तो दवै दिणु छौं । वैक बाद दुबार दिखे मितै। ( एक हफ्तो बाद) मरीज - " डॉक्टर साब, आपक दवै क्वी असर नि प्वाड़ I " डॉक्टर ," यार यन त नि हुण चयेंद. तिन कखि , सिगरेट त नि पै " I मरीज - " न जि ना। धरमू ब्वै कसम .एक बि नि प्याइ. हाँ तम्बाखु खाण शुरु कैर। पीणो जगा खाण शुरु कार। नि सहेणु छै डाक्टर साब" डॉक्टर -" अबै तमाकू खाण बि नि कतै। एक हफ्ते दवै फिर दिणू छौं। सब ठिक ह्वै जालु।ला पांच सौ रुप्या दी मेरि फीस।" (एक हफ़्तो बाद) मरीज़ -" डॉक्टर साब , अब तबैत हौर बिगडि गै। कुछ त ईलाज कारो जी।" डॉक्टर - "इन क्य ह्वै। ना तू सिगरेट पीणू अर ना बीड़ी । तमाकू बि नि खै न तिन।" मरीज- " अपणि जनानि धरमू ब्वैक कसम खाणु छौं। बिलकुल नि खै यी तिन्नि चीज।"हाँ सहेणु नि छै त चिल्ला सुंघण शुरु कैर अब। डाक्टर दवै बदलणु रै अर मरीज आपरु नशा तरीका ।तीन मैना तक यू हि क्रम चलणु रै। डाक्टर परेशान त मरीज हैरान।कार त क्य कारु। आखिर मरीज न डाक्टर तैं कोरट केस अर पुलिस केस करणो धमकी दे द्य्याइ।द्वी भौत आपर -आपर फिल्ड मास्टर। आखिर डाक्टर त डाक्टर हि ह्वै साब।वैन ये मरीज से छुटकारा पाणौ ईलाज ढूंढ हि ध्याइ। किलै कि मरीज त असली पर डाक्टर नकली छै I डाक्टर ब्वाल," भै इन च कि मि अब आखिर टैम दवै दीणू छौं कि सबि चीज त तिन पीण छोड़ि याल त अब तू जिण हि छोडि दि।" मरीज -"अब मिन कब आण।" डॉक्टर- " अब आणो न बल्कि जाणो तैयारी कैरि लै I सबि कुछ सदानि खुणि शांत ह्वै जालु अब।" मरीज सुचद -सुचद सड़क पर पौंछ त वैक दोस्त रामपाल मिल गै। रामपाल- " अरे प्रकाश क्य व्है । भौत सुस्त लगणु छै अर बिण्डि दिन बिटी आफिस बि नि ऐ तू। I"सुबेर -सुबेर हि लगै याल क्य आज। लड़खड़ाणु छै।" प्रकाश- " न भै.। तेरि बौ कसम। सबि नशा छोड़ि याल। पर तबैत ठिक्क नि हुणि यार। अब यू बंगाली डाक्टर बुलणू बल आणो जरुरत नि जाणौ तैयारी कैर। वैकु बुलणो मतबल क्य ह्वाल मेरी समझ नि आणि। रामपाल ," अबे तू बि कै नालैक डाक्टरो ध्वार चलि गै। थर्ड क्लास डाक्टर पैंसो नाश।मि एक भौत हि जाणगुरु अर अनुभवी डाक्टर तैं जाणदु। भौत परफैक्ट डाक्टर च। जब म्यार ससुर जी गौं बिटी बिमार ह्वै आइ छै त मि वै गढवाली . वै डाक्टरों न भै साब बुड्या दिखद हि ब्वाल कि यू बुड्या त हफ्ता बि नि टपण्या. अरे भुल्ला सचै बुलणु छौं बुड्या तिन हि दिन मा टपकि गै सटाऽग। इतना बढिया डाक्टर च वू। चल अबि म्यार दगड़ वे गढवालि डाक्टर म‍ा। मरीज सुचणो कि मि कैक सि कपाऽल फोड़ डाक्टरो कि ,रामपालो या आपरु ।

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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