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भाग ८३ घपरोल

भाग ८३     

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी," यू क्य ये थैला मा ?"
श्रीमान जी,"आधा किलो आदु,हल्दु अर पिण्डालु. "
श्रीमती जी,"मिते कोटद्वार छोड़िक ढाई हजार खर्च कैरिक बारा दिन मा गौं बिटी यू हि ल्याऊं।"
श्रीमान जी,"गौं मा सब पुंगड़ बांज पुण्या छन। वू त मंगतू भुला क घार क ऐथर ह्वै ह्वाल त वै बिचार न त्यार वास्त चाय मा खुणि म्यार थैला मा धैरि देन।
श्रीमती जी," वू त ठिक च पर। बस मा नि जै सकद छ्याइ। ढाई हजार मा जीप कैरिक पैंसा खर्च करणो क्य जरुरत छै।.सट इक्कु दिन मा किलै भागि कोटद्वार बिटी।"
श्रीमान जी," मि त कोरोना डैर भीड़ क वजै से बस मा नि ग्यों। अर भाग त तब छौं कि कखि तू आपर मौंसेर भै गौरु डाक्टर ध्यानी मा म्यार दांत नि तुड़े दे। पैंसा म्यार छन त मि जनि खर्च कोरु मेरी मर्जी। त्यार बुबो क्य जाणु।"
श्रीमती जी,"जादा हल्ला नि मचौ। म्यार भि आधा अधिकार च तुमार पेंशन पर। तबि त मि भि कोटद्वार बिटी पांच हजारक ऐसी टैक्सी मा
ओं। म्यार भुलोन कार टैक्सी ।"
श्रीमान जी,"रुप्या त म्यार हि लगिन।वू टैक्सी वालु भि त्यार हि भुलों दोस्त त छ्याइ। जरुर कमिशन खै व्हाल त्यार मौंसी क लड़का न।"
श्रीमती जी,"जादा बकबास नि कारा। तुम म्यार भै त चौर बताणौ छौं। चोर ह्वाल वीं तुमार पातर पुष्पा बौ क भै बंद।"
श्रीमान जी,"मिन त्यार कपाऽल फोड़ि दिण, हाँ।
फिर तू बगैर बात पुष्पा बौ तैं बीच मा किलै लाणी।"
श्रीमती जी," मि सब खबर च। वा पातर देहरादून जाणो बतैक ऋषिकेश क रस्ता गौं पहुंचि गै छै। तबि त तुमार निफल्टी एक दिन क जगा पर बारह दिन गौं मा हि हुईं रै।"
श्रीमान जी," त्यार दिमाग मा त कीड़ू घुस्यूं च बस। पुष्पा बौ त मकरेणी खुणि गौं शिवालय मा पाणी चढणौ आंई छै।"
श्रीमती जी," अर तुम बारह दिन तक वींक पूजा करणा छ्याइ क्य वख।आरती उतारना छ्याइ वींक।फोन कारा त नेटवर्क से भैर।
वींक नेटवर्क कन चनु छै। वा त पुरु समाचार भिजणी छै विडियो बणै नेगी भुल्लि खुणि।मिते सब बताणि छै वा भुल्लि वट्स ऐप पर।"
श्रीमान जी,"पुष्पा बौ त बजार मा छै। भट्ट गेस्ट हाऊस मा।अर मि गौं मंदिर मा। बौ क फोन जियो नेट च वू पकणु छ्याइ।अब तिन जू कुछ समझणा।"
श्रीमती जी,"वू त बच्चा आणा छन भौल हनिमून बिटी, त मि वापस आइ ग्यों ।चाबी मि मा हि छै यखा क। निथर मि वखि आंदु गौं वीं पातर क खबर लिणा। मिन सुण वीं पातर तुमतें टायलेट बाथरुम नि बणाण दे घारो मकान बगल मा।"
श्रीमान जी,"त या खबर भि मिल हि ग्या त्वे तैं।
पुराणो बाथरूम टायलेट उजड़ि ग्याइ । त मिन स्वाच नै बणाणो ठेका दि आंदु. पर. .
श्रीमती जी," पर, क्य . . । मि पता च अब तुमारि जुबान किलै बंद ह्वाइ।तुमार चहेती पुष्पा बौ न पटवारी बुलै दे छ्याइ बल।"
श्रीमान जी,'" अब तू जू कुछ भि समझ। मि भि वै पटवारी तैं छुड्यण्या नि छौं। त म्यार नाम नि।
श्रीमती जी,"जादा ताणि नि द्यावा। जनि वा पातर पितली गिच्चि कैरि तुमार समणि आलि तुम सब टायलेट-बाथरूम भूल जैलि।
(घपरोल जारी

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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