भाग ८४
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
"सुबेर-सुबेर घपरोल"श्रीमती जी,"क्य ह्वाइ आज खंथड़ि नि छ्वाड़ ।"श्रीमान जी," यू सर्वाइकल अर स्पोंडिलाइसो दर्द फिर बढि ग्याइ. गौं मा उकाल उंधार चैढिक. भारी थैला उठैक या लम्बू कच्चि सड़क मा जीप क थचक-थचक से हुणो व्हाल।येमा चक्कर बि आंदान।"श्रीमती जी,"कैन ब्वाल कि गौं मा पहलवानि दिखा। लडै करणो त खूब बरबराहट छै आईं।"श्रीमान जी," त्यार कपाऽल. साला कुछ न कुछ परेशान करणु। दांतो दर्द ठिक ह्वाइ। त अब यू कमर-गर्दन दर्द।"श्रीमती जी," कखि वीं तुमार पुष्पा बौ न पटवारी मा त नि पिटवै।"श्रीमान जी,'" फण्ड निपल्टु हु यख मान। जब द्याख्या पुष्पा बौ तैं जरुर बीच मा ।"श्रीमती जी," तुमार कंदुड़ बंद त नि ह्वाइ। मिन कख पूछ कि"वीं पातर न पटवारी किलै बुलै तुमतैं गिरफ्तार करणो गौं मा।"श्रीमान जी,"हे भगवान। ज्यू बुलणू कि मि सब कुछ छोड़ी- छाड़ी ,हरिद्वार -ऋषिकेश चलि जौं कै आश्रम मा। त्यार रोज रोज कु घपरोल से परेशान ह्वै ग्यों मि।"श्रीमती जी,"हाँ! अब कनि जाण तुमन। बजार क सब्बि आच्छ पुंगड़ो पर त तुमार बौ न अर वींक छुटू देवर न कब्जा कैरि याल। सरकार पर्यटन विस्तार करणि वख।"श्रीमान जी," आच्छु त, च। विकास हुणु गौंक।त्वै तैं क्यांक जलन।"श्रीमती जी," मि कुछ नि जाणदु ।म्यार धरमूखुणि द्वी कमरो सेट बणाव गौं क बजार मा। ताकि इन.महामारी टैम मा भविष्य मा वख चेैन घाम त तापि सकौं। "श्रीमान जी," टायलेट -बाथरुम क चक्कर मा त वख पटवारी आइ ग्याइ। अगर मकान बणौल त पूरी फौज बुलै ल्याल स्वार-भार। "श्रीमती जी," सुदि हिलाणा रंदौ वीं किसान बही तैं. हमतैं दिखाणौ। "मेरे पास तो गाँव में सबसे जादा नाऽलि जमीन है।" अब क्य ह्वै?श्रीमान जी," अरे सब्यूंन बजारो जमीन मा कूड़ बणै येन म्यार हिस्सा म भि। अर मि यख रौं नौकरी अर त्यार घपरोल मा।"जिसकी जोत-उसका खेत बल।"श्रीमती जी," तबि त वा पातर चुपचाप हर छै मैना मा गौं भागणि रैंद छ्याइ। अर तुमतैं पितली गिच्चि कैरिक पत्थर मा धेरि द्याइ।मिते कुछ नि पता। अब चाहे हरिद्वार जांदो या मथुरा वृंदावन म्यार धरमू तैं गौं बजार मा मकान बणैक द्य्यावा. . . .(घपरोल जारी)
"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी,"क्य ह्वाइ आज खंथड़ि नि छ्वाड़ ।"
श्रीमान जी," यू सर्वाइकल अर स्पोंडिलाइसो दर्द फिर बढि ग्याइ. गौं मा उकाल उंधार चैढिक. भारी थैला उठैक या लम्बू कच्चि सड़क मा जीप क थचक-थचक से हुणो व्हाल।
येमा चक्कर बि आंदान।"
श्रीमती जी,"कैन ब्वाल कि गौं मा पहलवानि दिखा। लडै करणो त खूब बरबराहट छै आईं।"
श्रीमान जी," त्यार कपाऽल. साला कुछ न कुछ परेशान करणु। दांतो दर्द ठिक ह्वाइ।
त अब यू कमर-गर्दन दर्द।"
श्रीमती जी," कखि वीं तुमार पुष्पा बौ न पटवारी मा त नि पिटवै।"
श्रीमान जी,'" फण्ड निपल्टु हु यख मान। जब द्याख्या पुष्पा बौ तैं जरुर बीच मा ।"
श्रीमती जी," तुमार कंदुड़ बंद त नि ह्वाइ। मिन कख पूछ कि"वीं पातर न पटवारी किलै बुलै तुमतैं गिरफ्तार करणो गौं मा।"
श्रीमान जी,"हे भगवान। ज्यू बुलणू कि मि सब कुछ छोड़ी- छाड़ी ,हरिद्वार -ऋषिकेश चलि जौं कै आश्रम मा। त्यार रोज रोज कु घपरोल से परेशान ह्वै ग्यों मि।"
श्रीमती जी,"हाँ! अब कनि जाण तुमन। बजार क सब्बि आच्छ पुंगड़ो पर त तुमार बौ न अर वींक छुटू देवर न कब्जा कैरि याल। सरकार पर्यटन विस्तार करणि वख।"
श्रीमान जी," आच्छु त, च। विकास हुणु गौंक।त्वै तैं क्यांक जलन।"
श्रीमती जी," मि कुछ नि जाणदु ।म्यार धरमू
खुणि द्वी कमरो सेट बणाव गौं क बजार मा। ताकि इन.महामारी टैम मा भविष्य मा वख चेैन घाम त तापि सकौं। "
श्रीमान जी," टायलेट -बाथरुम क चक्कर मा त वख पटवारी आइ ग्याइ। अगर मकान बणौल त पूरी फौज बुलै ल्याल स्वार-भार। "
श्रीमती जी," सुदि हिलाणा रंदौ वीं किसान बही तैं. हमतैं दिखाणौ। "मेरे पास तो गाँव में सबसे जादा नाऽलि जमीन है।" अब क्य ह्वै?
श्रीमान जी," अरे सब्यूंन बजारो जमीन मा कूड़
बणै येन म्यार हिस्सा म भि। अर मि यख रौं नौकरी अर त्यार घपरोल मा।
"जिसकी जोत-उसका खेत बल।"
श्रीमती जी," तबि त वा पातर चुपचाप हर छै मैना मा गौं भागणि रैंद छ्याइ। अर तुमतैं पितली गिच्चि कैरिक पत्थर मा धेरि द्याइ।
मिते कुछ नि पता। अब चाहे हरिद्वार जांदो या मथुरा वृंदावन म्यार धरमू तैं गौं बजार मा मकान बणैक द्य्यावा. . . .
(घपरोल जारी)
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