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भाग ७४घपरोल

भाग ७४   

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" " "

श्रीमान जी,"मि खुणि चा नि बणै आज।"
श्रीमती जी,"कौन बना रहा है। मैं तो सुबह पाँच बजे पी चुकी।"
श्रीमान जी,"अरे!म्यार दांत दर्द करणू तब भुन्नू छौं। पर आज हिंदी फुकणि छै चटेैलिक।"
श्रीमती जी,"आपने कल मेरा रिजुलेशन सुना नहीं नये साल का कि"मैं अब सिर्फ हिंदी अंग्रेजी में ही बात करुंगी।"
श्रीमान जी,"जादा गुस्सा नि चड़वा मिते। मि दांतो पीड़ से उनि परेशान छौं। नरभै अंग्रेजण।"
श्रीमती जी,"अभी तो भगवान पता नहीं कहाँ कहाँ दर्द देगा जैसा कर्म करेगा कोई वैसा फल देगा भगवान।"
(ब्वारिक प्रवेश)
ब्वारी," मम्मी जी, झट नाश्ता बण्या छन।हम लोग गोवा जाण हैं बल आज दोपहर दोबजि फ्लाइट से हनीमून पर।"
श्रीमती जी," वैसे ही मास्टनी और वैसे ही चैलि। न पूरी गढवालि न पूरी हिंदी। भूत न भविष्य काल का, पता ही नहीं चल रहा "
श्रीमान जी,"चुप रै! तू।ब्वारी गढवालि बुलणो जतन त करणी च कम से कम। क्वी काम शुरु नि करदू कि तू पैलि वै तें झुर्रे दिंद।"
श्रीमती जी ," यू प्लीज जस्ट. . . ."
ब्वारी," अरे ब्वा।मम्मी जी आप तो फर्स्ट क्लास हिंदी अंग्रेजी बोल रही हैं।पर आपने गढवाली छोड़ दी बोलनी और मैं आपके चक्कर में तो पुष्पा ताई से गढवालि बोलना सीख रही हूँ। ।"
श्रीमती जी ," यू माइंड यूर . . .उसका नाम भी मत लेना मेरे सामने।"
ब्वारी," सो प्राउड आफ यू ,मम्मी जी। गज़ब।आप तो बिलकुल करैक्ट अंग्रेजी भी बोल रही हैं। अच्छा, मैं अपना बैग तैयार करती हूँ
। पापा जी ये धरमू भी आपकी तरह ही ढीला है। अभी तक अपने कपड़े भी नहीं निकाले उसने आलमारी से।"
श्रीमान जी," अरे बेटा पगले ग्याइ तेरी सासू।बुना या। तुमारि सासू. पतानि कैन सिखै पढै या। एक त यू आई-फोन क्या खरीद ये धरमूक बच्वान यीं खुणि त वी ऐलेक्सा पूछिक क्य क्य सिखणी।"
श्रीमती जी," बेस्ट आफ लक बेटे। आप लोग जावो हनीमून पर। मैं भी अपना टूर प्लान बनाती हूँ।
ये अच्छा है गोवा एण्ड अंडमान निकोबार में कोविड के मामले भी कम है दस से भी कम आ रहे हैं रोज. यू अर सैफ देयर बट. .
श्रीमान जी," अरे नरभै ऐलिजाबेथ। म्यार क्य व्हाल ये जाड्डू मा यख अकेला। स्यू पारा बि एक द्वी पर पहुंचि ग्याइ दिल्ली एन सी आर मा।"
श्रीमती जी," आपकी है न वो छमकछल्लो पुष्पा भाभी। जहाँ मर्जी जाआो। पर मैं उसकी गढवाली पाठशाला तो बंद करवा कर ही रहूंगी। जाओ उसी से दांत के दर्द का ईलाज भी करवा दो। उसके तो दर्शन से दूर हो जायेगा दर्द तुम्हारा।"
श्रीमान जी," अब जादा हि ह्वै ग्याइ। हैं! अरे यार ! तू किले छै म्यार अर वीं पुष्पा बौ पैथर पुणि। पर मिन त कुछ नि ब्वाल . . . .
(घपरोल जारी)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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