भाग ८८
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
"सुबेर-सुबेर घपरोल"******************धरमू," क्या हुआ मम्मी? क्यों हल्ला मचा रखा है।"श्रीमती जी,'" तैखुणि साढे दस बजि सुबेर हि हुंई अबि। ब्यालि राति द्वी बजि गोवा बिटी ऐक सै त गे ह्वैलि। अर ब्वारी कख च। अबि वा बि पुड़ि हि च क्य?"धरमू," उसको तो मैं रस्ते में उसके घर उतार के आ गया था एयरपोर्ट से आते."श्रीमान जी," त्यार दिमाग त खराब नि ह्वै।खालि हथ छ्वाड़ तिन ब्वारी मैत।"श्रीमती जी," तुम चुप रावा।तैं सिंपैड्या नाक नि घुसो बीच मा । जब मि बात करणो छौं। श्रीमान जी," क्य मतबल। मि ये परिवारो हिस्सा नि छौं। जादा नि बोल। अबि भैर कैरी द्य्यूल मकान बिटी। म्यार रिटायरमेंट पैंसा लग्यां छन। त्यार बुबो नि द्य्यूं दहेज मा।"धरमू," यार इसीलिए मैं कमरे में बंद रहता हूँ। तुम्हारा जब देखो,वो क्या कहते हैं गढवालि में "घपरोल "शुरु हो जाता है।"श्रीमती जी," तू बि जादा चौड़े नि दिखो। नौ मैना तक पुटुक मा राख मिन. अब गढवालि बुलण बि भूलि गै. कुछ त सीख ब्वारी मान । वा त गढवालि बच्याण सिखणी।"धरमू,'" अरे ज्यादा लेक्चर न दो मम्मी। उसकी मम्मी का फोन आया था कि पहले माघ के महीने में बहु मायके में रहती है सुसराल में नहीं । तो छोड़ आया। बस मैं नहाने जा रहा हूँ। श्रीमती जी," कन जोग रैन म्यार बि। न लडिक सुणदू अर ना वू जैक दगड़ बुलणो खुणि डाव हुयूं."श्रीमान जी," क्या मतलब त्यार बुलणो खुणि। बत्तीस साल इन्नि कटै गैन। क्य कमि कार मिन तै खुणि।"श्रीमती जी," क्या नि रै। वा पातर तुमारी पुष्पा बौ अगर एक टांगड़ मा खड़ू हुणो ब्वालि त राति भर हिलेलि बि ना।"श्रीमान जी," फिर तू वीं बिचारी बौ तैं बीच मा ले गै। त्यार खाणो नि पचदु बौ तैं बीच मा ल्यायूं बगैर। भौल आणि बल बौ वापस। सर्रा कानी आफिक पूछि लै बौ से.॥ कि पटवारी किलै बुले गौं मा।"श्रीमती जी,"आणि दे दी। मि क्या डैर लगिं वींक। डैर लग्यालि त तुमतैं लगालि जू सर्रा जिंदगी वूंक हि तरफ़ राव। वुन सी बात हुंदि त मिन कबि मैत हि चलि जाणू छ्याइ पर तुमारो बुड्या ब्वै -बाबा कारण नि ग्याइ। अब त बिचार ब्रह्मलोक वासी ह्वै गैन।"श्रीमान जी,' बत्तीस साल बिटी क्वी ना क्वी बहाना. अब चलि जादि। कु रुकणु. . .(घपरोल जारी)
"सुबेर-सुबेर घपरोल"
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धरमू," क्या हुआ मम्मी? क्यों हल्ला मचा रखा है।"
श्रीमती जी,'" तैखुणि साढे दस बजि सुबेर हि हुंई अबि। ब्यालि राति द्वी बजि गोवा बिटी ऐक सै त गे ह्वैलि। अर ब्वारी कख च। अबि वा बि पुड़ि हि च क्य?"
धरमू," उसको तो मैं रस्ते में उसके घर उतार के आ गया था एयरपोर्ट से आते."
श्रीमान जी," त्यार दिमाग त खराब नि ह्वै।खालि हथ छ्वाड़ तिन ब्वारी मैत।"
श्रीमती जी," तुम चुप रावा।तैं सिंपैड्या नाक नि घुसो बीच मा । जब मि बात करणो छौं।
श्रीमान जी," क्य मतबल। मि ये परिवारो हिस्सा नि छौं। जादा नि बोल। अबि भैर कैरी द्य्यूल मकान बिटी। म्यार रिटायरमेंट पैंसा लग्यां छन। त्यार बुबो नि द्य्यूं दहेज मा।"
धरमू," यार इसीलिए मैं कमरे में बंद रहता हूँ। तुम्हारा जब देखो,वो क्या कहते हैं गढवालि में "घपरोल "शुरु हो जाता है।"
श्रीमती जी," तू बि जादा चौड़े नि दिखो। नौ मैना तक पुटुक मा राख मिन. अब गढवालि बुलण बि भूलि गै. कुछ त सीख ब्वारी मान । वा त गढवालि बच्याण सिखणी।"
धरमू,'" अरे ज्यादा लेक्चर न दो मम्मी। उसकी मम्मी का फोन आया था कि पहले माघ के महीने में बहु मायके में रहती है सुसराल में नहीं । तो छोड़ आया। बस मैं नहाने जा रहा हूँ।
श्रीमती जी," कन जोग रैन म्यार बि। न लडिक सुणदू अर ना वू जैक दगड़ बुलणो खुणि डाव हुयूं."
श्रीमान जी," क्या मतलब त्यार बुलणो खुणि। बत्तीस साल इन्नि कटै गैन। क्य कमि कार मिन तै खुणि।"
श्रीमती जी," क्या नि रै। वा पातर तुमारी पुष्पा बौ अगर एक टांगड़ मा खड़ू हुणो ब्वालि त राति भर हिलेलि बि ना।"
श्रीमान जी," फिर तू वीं बिचारी बौ तैं बीच मा ले गै। त्यार खाणो नि पचदु बौ तैं बीच मा ल्यायूं बगैर। भौल आणि बल बौ वापस। सर्रा कानी आफिक पूछि लै बौ से.॥ कि पटवारी किलै बुले गौं मा।"
श्रीमती जी,"आणि दे दी। मि क्या डैर लगिं वींक। डैर लग्यालि त तुमतैं लगालि जू सर्रा जिंदगी वूंक हि तरफ़ राव। वुन सी बात हुंदि त मिन कबि मैत हि चलि जाणू छ्याइ पर तुमारो बुड्या ब्वै -बाबा कारण नि ग्याइ। अब त बिचार ब्रह्मलोक वासी ह्वै गैन।"
श्रीमान जी,' बत्तीस साल बिटी क्वी ना क्वी बहाना. अब चलि जादि। कु रुकणु. . .
(घपरोल जारी)
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