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भाग ७५ घपरोल

भाग ७५    

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" " "

श्रीमान जी," ओ ओह। यू दांतों पीड़ बि भौत हि खराब।वू त बिचारि पुष्पा बौ क बतैं दवै कैरिक रात कुछ आराम ह्वाई।"सरसों तेल मा लूण मिलेक गरारा अर एक गारि लूणो दांतों बीच"-काफी आराम। हे धरमू ब्वेै ,कख गै ह्वैलि.
श्रीमती जी," क्य ह्वै? भैंसो तरां क्य खुणि . . .
श्रीमान जी," हैं. त्यार रिजुलेशन नै साल द्वी दिन मा पूरु.। ब्यालि त अंग्रेजी अर हिंदी फु्कणि छै। अर कि मिन कबि गढवालि नि बुलण। अर आज ही शुरु।"
श्रीमती,"मेरी मर्जी। वू त मेरि ब्वारी मा वीं पातरों इस्कूल छुड़ाणक चाल छै।"
श्रीमान जी," म्यार ख्याल से तू भौत खुटकरमि छै। मानि ग्यों भै। ब्यालि बि मिन कुछ नि खाइ दांतो पीड़। अब त सेंवियाँ बणै दि मिखुणि।"
श्रीमती जी," कुछ नि पकाण। मि त ब्वारिक फून क इंतजार करणों छौं गोवा बिटीक। टैम पर त पहुंचि गै छ्याइ हवै जाज."
श्रीमान जी,"क्य बामणो बुल्यूं कि फोन नि आलू ब्वारिक त चा-पाणी खाणो नि बणौन।"
श्रीमती जी," जी। बुल्यूं च बस.(ब्वारिक फून आंदु)- हाँ बेटे. बोल आराम से हो।"
ब्वारी(फोन पर),"हाँ मम्मी जी। मौसम भौत आच्छु है. मैं आपके लिये पीजाऽ बुक करा रही हूँ। और दिन रात का खाना भी होटल से पहुँच जायेगा. ओ०के। बाय-बाय। हाँ-पापा के दांत में दर्द है तो उनके लिये कुछ नहीं मंगाया।वो तो पुष्पा ताई के घर खा लेंगें खिचड़ी -हलवा हमेशा की तरह।"
श्रीमती जी,"सुणि याल। फोन स्पीकर पर छ्याई। अब ऐ ब्वारि रस्ता मा। निथर वीं पातर तुमारि पुष्पा बौ न इक्कु मैना मा चलै याल छ्याई मंतर।"
श्रीमान जी,"तबि बुल्दान कि . . .छोड़ . तिन बुन्न कि मातृ शक्ति बेइज्जति कैरि द्य्याइ।"
पर मिन बुक्खि रैण क्य।"
श्रीमती जी," मि क्य पता। "
श्रीमान जी," तू आदिम छै कि घनचक्कर। ब्वारि खुणि नि बोलि सकिद छै कि यू खुणि हलवा हि मगैं दी मूंग या गाजर कू"
श्रीमती जी," किलै!वखि जावादि जैंकि तारिफ मा रामायण लिख्यां छन तुमार।"
श्रीमान जी," मि सब समझि ग्यों . अब तिन लड़िक ' ब्वारी बि आपर दगड़ मिले ऐनि। साला मि जिंदगी भर याँ खुणि रौं आपर हड्डक तुणू रात रात भर आफिस मा ओवर टैम करणू।"
श्रीमती जी," अब कुछ बि समझो। "
श्रीमान जी,"धत्त तेरी की यी जिंदगी खुणि।मि वृद्ध आश्रम चलि जो पर अचकाल पुष्पा बौ घार नि जाण्याँ. वींक बैणि जगता, वींक भैजि रामसू अर् हौर बि मैमान छन त्यार भुला सुंदरुक कोरट केस कू चक्कर मा।"
श्रीमती जी,"मिते क्य मतलब "
श्रीमान जी,"साला म्यार हि सी क्वी नि रै। क्य मिल मितै यीं दुन्यां समाज सेवा भलौ कैरिक। मि आपर आफिस दोस्तों घार चलि जांद। अर वे धरमूक त आण पर हि खबर नि ल्याइ त देखि ले।"
श्रीमती जी," जखि जांदो. अबि जावा। पर मिन त कुछ नि ब्वाल।"

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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