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भाग ७६ घपरोल

भाग ७६     

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी," मि बल आपर ओफिसो दोस्तों घार जाणू छौं। हे ब्वै! म्यार अफखुणि धर्यां बिस्कुट,रस अर दूध चपट कैरि ग्याइ राति।"
श्रीमान जी," त्यार दिमाग खराब च। ब्यालि क्य बरखा झैड़ि लगिं छै दिन भर। कनकै जाणू छै मिन । अर क्वी दोस्त फून बि नि उठाणू अचकाल। सबि नाराज छन कि लडिक ब्यौ मा नि बुलै।"
श्रीमती जी," वांक दैं त दशरत बणदू कि "प्राण जाये पर वचन न जाये"।ब्यालि त ताणि दीणू छै कि "मैं चला जाता हूँ। "
श्रीमान जी," मि किलै जौं। रुप्या म्यार लग्यां यख पर चालिस साल नौकरी कमै जू रिटायरमेंट मा मिलि। जौलु त बैचिक जौलू।"
श्रीमती जी,"बगैर मेरी मर्जिक नि बेचि सकद महाराज। रजिस्ट्री म्यार नौं पर च। रजिस्ट्री फीस मा महिला रिबेट लीणौ चक्कर मा तुमन रजिस्ट्री म्यार नौं करै छ्याई। बस अब जावा।"
(धरमूक फून)
श्रीमती जी," हाँ म्यार धरमू। बेटा, ठिक छवा गोवा मा।"
धरमू," अरे! मम्मी ।हमारी छोड़ो। आप लोग बुढापे में भी लड़ रहे हो।इनसल्ट हमारी होती है।"
श्रीमती जी," क्य व्है बेटा।यू त सब्युं मा हुंद तू चिंता नि कैर."
धरमू," पापा दो दिन से भूखे हैं।आपने उन्हें खाना नहीं दिया।उल्टा घर से निकाल रहे हो।
अभी-अभी पुष्पा ताई का फोन आया था।"
श्रीमती जी,"अच्छा। येन अखबार मा समाचार भी छपवै द्य्याइ। बेटा दांत मा पीड़ च । ऐ वास्त नि खै खाणुक। दूध बिस्कुट ,रस त चबट करणू च।"
धरमू," पापा से बात करावाओ।"
श्रीमती जी," दांत मा पीड़ च । बात नि कैरि सकदु बल."
धरमू,"फिर पुष्पा ताई से कैसे बात करी?
श्रीमती जी,'" वैबरिं बल लूणो गारिन सैल पुणि छै."
धरमू," अच्छा ठीक है। लड़ना मत। वो नहाने गई है तो बात कर पा रहा हूँ। "
(फोन बंद)
श्रीमती जी," देखि याल । ये छुसक्या फुसक्या तैं।तबि त मिन ब्वाल यी बाथरुम मा इतना देर क्य नहैणा रंदान। वखि बिटीक फून करणू रोंद वीं आपर पातर पुष्पा बौ चैनल तैं.
श्रीमान जी," कैकु फून छ्याइ। मि बाथरुम मा मुख हाथ धूणु छ्याइ।"
श्रीमती जी," जैकि हि रै व्हाल।नि बताणा। बाथरुम नि ब्वालद। न्यूज रुम ब्वालो।कै कै चैनल खुणि फून कार कि मिते द्वी दिन बिटी
खाणुक नि दिणी मेरी श्रीमती."
श्रीमान जी," पर मिन त कुछ नि बोलि. . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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