भाग ९७
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती," ये आदिमो कारण हमतैं सब्यूंक गाऽलि खाण पुणदान् ."
श्रीमान जी," अब मिन क्य कार? इन ना कि मिठि सि चा पिलों अर शुरु ह्वै जांद वींक कड़कड़ाट सुबेर सुबेर.
श्रीमती जी," भुलि ग्याव ब्यालि धरमूक जलमबा्रे दिन क्य कार। क्य शरीफ आदिम बण्यू अब।
श्रीमान जी,"अ अहा. क्य बढिया उड़दू क पकोड़ि अर पूरी बणि छे. अर टमाटर आलु झौल पैकि त मजा हि ऐ गै। पर गलत काम तिन कार जू द्वी पकोड़ी बौक ध्वार नि भ्याज।
श्रीमती जी," वींक नौं नि ल्याव म्यार समणि। जब तक वा गौं की आपर फौंदारीक माफी नि मांगालि मिन बात नि कन. बौ ह्वैलि त तुमारि ह्वैलि जैन तुमतैं पटवारी मा बि पिटै याल छै।"
श्रीमान जी," फिर तिन बामणो बि नि बुलै धरमूक ग्रह पुजणो।
श्रीमती जी," मिन तुमार हि ग्रह खराब कैरि दिणान हाँ। बामण मना नि कैरु छ्याइ कि धरमूक जलमबार समध्यूल मा मनाण छ्याइ. सर्रा काम ना बोलिक ये आदिमन समधी जिक बि नुकसान करै. हलवै करु्यूं छ्याइ वूंक।
श्रीमान जी," भै जब धरमू म्यार लड़िक ऐ घारम पैदा ह्वै तो जलमबार सुसराल मा किलै। खराब क्य कैरि आफिक त खै व्हाल वून।
श्रीमती जी," अरे ब्वारी बि त वखि छै. वीक बि त आदिम लगदू यू धरमू। कतना बुरु लगि व्हाल ।
श्रीमान जी," तै से जादा समझदार च ब्वारी। मिन पैलि बात कैरि याल छै ब्वारी दगड़।
श्रीमती जी," अबि बल पंचक छन त वून ना बोलि याल छै. वैक बाद समधण आपर गौं जाणा छन मंदिर मा. धरमू बि जालू बल। त तब दगड़ि ले आलु ब्वारी तैं.
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श्रीमती जी," त इतना बड़ी बात मितै किलै नि बतै।
वे धरमून बि ना।
श्रीमान जी," मिन ही ना ब्वाल छ्याइ धरमू तैं बताणौ। निथर तिन पकोड़ी स्वाल बि त नि बणौन छ्याइ।
श्रीमती जी," मेरि त ये घारम क्वी पूछ ना इज्जत।
ब्वारीक आंद हि मिन त गौं चलि जाण। तब दिखलू वीं पातर तैं कन करदी वा हमार पुंगड़ पर कब्जा।
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श्रीमान जी," जखि जांदि। आज हि जौ।पर मिन त कुछ नि बोलि. . . . .
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