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भाग १०० घपरोल

भाग १०० घपरोल

सुबेर-सुबेर घपरोल


" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
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श्रीमती जी,"गुप्ताणी बताणि छै कि तुमारीं वीं पातर बौं खुणि गिफ्ट अर गुलदस्ता भ्याज बल जिठा जीन आसाम बोर्डर बिटी आन-लाइन। इन खबर किलै बताण ये आदिमन मितै।
श्रीमान जी," भौत बढिया। बौ त खुश ह्वै गै ह्वैलि।
श्रीमती जी," वीं से जादा त तुमारी गिच्ची फैलणि। पर किलै भ्याज. यू नि पूछ।
श्रीमान जी,"मि क्य पता।
श्रीमती जी," ब्यालि बेलनटाइ दिन छै बल. अर यू आदिमक ब्यालि सुबेर बिटी ही जख निरपट हुयों रै व्हाल।
श्रीमान जी,"बेलन टाइट डे" त्यार बरमण्ड। अरे!"वेलेंटाइन डे "बुल्दान। बेलन त त्यार रोज ही टाइट कर्यूं रैंद।
श्रीमती जी," हाँ। ये हि वजै से त्यार लापता हुयों रै ब्यालि दिनभर। इन ना कि मि खुणि बि क्वी गिफ़्ट लांदु, सुंदर फूलों गूलदस्ता लांदु।
श्रीमान जी," गिफ्ट अर गुलदस्ता भि तेखुणि। आपर अन्वार बि द्याख तिन शीशा मा। अर गिफ्ट बि सुंदर शकल देखि दिये जांदु। तै जणि सूर्फनखा तै नि दिये जांदु।
श्रीमती जी," मेरी शक्ल आच्छि नि हुंद त खूबसूरत धरमू अर सुंदर सोनी गिफ्ट मिलद तुमतैं। शक्ल आपर दिखदि जरा। जनि खरड़ू उनि शकल बि जंगलातो भ्यालु जन।
श्रीमान जी," जादा बकबास नि कैर। मि त ब्यालि सर्रा दिन रावत जीक दगड़ खरीददारी वास्ता बजार घुमणू अर बरातघर बुक कराणो चक्कर मा। फिर देर व्है ग्या त वकि रुकि ग्यौ। वूंक छुटू लड़िको ब्यौ च। वे राजूक।
श्रीमती जी,"मि पता च किलै रुको तुम राति वख। जरुर वू नेता दरौल्या बि रै व्हाल तुमार दगड़।
चलो आज बेलनटाइ डे गिफ्ट ना सै त अब राजू ब्यौ खुणि द्वी साड़ी नै दिलै देन मितै।
श्रीमान जी,"साड़ी किलै?ब्यालि तू बुन्नि रै कि गौं जाणु छौं टाॅयलेट बणौ। पुंगड़ी बचौण। ब्यौ मा मि आकेला जौल बैशाखी दिन।
श्रीमती जी," मि जरुर जौल गौं वीं पातर तैं सबक सिखाणौ अर वे पटवारी खबर लिणौ । जै पटवारी मा वीं पातरन तुमतें पिटवे।
श्रीमान जी ,"हे भगवान कतगा दफै बतै याल कि नि पिटू मिते पटवारी। त्यार कुछ काम नि जू बौक पैथर पुणि रैंद।
श्रीमती जी," मि त अब. रावत भैजिक राजूक ब्यौ तक रुक्यूं छौं। बस वैक बाद त मिन गौं चलि जाण।
श्रीमान जी," जखि जांदि अर जबि जांद । पर मिन त कुछ नि बोलि . . .
(घपरोल जारी)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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