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भाग १०२ घपरोल


भाग १०२  घपरोल

सुबेर-सुबेर घपरोल



" आजो गढवालि चुटकला" " "


"सुबेर-सुबेर घपरोल"
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श्रीमती जी(फोन पर)," तु म वापस किलै नि आइ. टप्प पांच दिन ह्वै गैन.कम से कम फून त कैरि सकद छवा"
श्रीमान जी(फोन पर)," नेट खतम ह्वे गै छ्याइ. बड़ी मुश्किल से चार्ज करवै बिष्ट भुला मा. अर तू म्यार कपाऽल नि तचा सुबेर सुबेर।वनि परेशान छौं मि।"
श्रीमती जी,"अरे तुमते पुराण मकानो सफेदी करण भेजि छ्याइ कि मकान बणाणो. द्वि हफ्ता ह्वै गैन."
श्रीमान जी," सब त्यार कारण.
श्रीमती जी,"अब मिन क्य कार. मि त यखि छौं चालिस किलोमीटर दूर।
श्रीमान जी," द्वी ठेकेदार भागि गैन।
श्रीमती जी,'वै दिन त पितली गिच्चि कैरिक बुलणा छ्याइ कि धन्य हो मेरी पुष्पा बौ जू विन आपरु पैचाणो ठेकेदार भ्याज अब कख च वा पातर।
श्रीमान जी,'"तू वैदिन भैसों तरां चिल्लाणी रै फोन पर कि हमतैं नि चयेणु वीं पातरो ठेकेदार. बगल मा गुप्ताणि सुणि रै . वीन चट बौ मा बोलि द्याय.गुप्ताणि तुमार दगड़ रैक सर्रा गढवालि सिख ग्याइ।
श्रीमती जी," ठिक त ब्वाल मिन. त हमन पैंसा नि दिण छै. अब क्य व्है।
श्रीमान जी," हुण क्य छै. बौन वापस बुलै द्याइ वू. थाकुलि फिर उल्टी ह्वै गै।
श्रीमती जी,"तुमारो बस कु अब कुछ नि. उंद वापस आवा।परस्यों समध्यूल जाण.ब्वारी लिणौ. अर मि खुणि नै साड़ी भि लाण।
श्रीमान जी," मि नि आणो. अब काम पूरु करैक हि आण. नै ठेजेदार बुल्याऊं वै वर्मा हार्डवेयर क दुकान बिटी। द्वी आलमारी कैबनेट भि बणाणु छौं.
श्रीमती जी,"यू आदिम च कि क्य। किरायेदारो खुणि कू बणांद आलमारी। एक मेरी साड़ी खुणि त ऐमा पेंसा नि छन अर आलमारी पर पचास हजार खर्च करणु। झट्ट इना निरपट कारा. समधी जी क्य ब्वालऽल।
श्रीमान जी,"परस्यूं हि ओलु अब। जादा बकबास करिल त मिन यख रै जाण हमेशा. तू तखि रौ घपरोल करणि।हाँ, खबरदार ! जू पुष्पा बौ खुणि एक शबद भि ब्वाल।
श्रीमती जी," जखि रौंद अर जखि जांद। पर मिन त कुछ नि बोली.।
(घपरोल जारी)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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