भाग १०४ घपरोल
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
*सुबेर-सुबेर घपरोल *
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श्रीमान जी," अरे, चा त पिलाऽ एक कप।"
श्रीमती जी,"नि बणाना मिन। ब्यालि त सर्रा दुन्या तैं सुणै द्याई कि घलच्यणा कुल्च्याणि चा बणांद मि। ब्वारी अर मेरी पुष्पा बौ हि बणांद चा त फसट कलास।"
श्रीमान जी," सै बात मा बुरु मानणा क्य बुरै। अरे ब्वारिन पैलि बेर चा बणै त तारिफ करण चयेंद. उत्साह बढि जांद नै बच्चोंक। आज रातभार वर्क फरोम होम ड्यटी पर छै त सुबेर छह बजि कनकै उठण। बल्कि राति द्वी बजि काफी मितै भि पिलै ब्वारिन।
श्रीमती जी," तुम क्य भद्वाड़ खरणा छै राति द्वी बजि।"
श्रीमान जी," अरे कानी संग्रह छपाणो छौं त संपादन करणु छौं अचकाल अपणि रचनाओं क।"
श्रीमती जी," हे म्यार कालिदास । बाप न मारी मिढकी अर बेटा बना तिरंदाज. तुमते हि मिलदू बल अब ज्ञानपीठ पुरस्कार ।"
श्रीमान जी," अब त्वै क्य पता, अचकाल जब तक तुमारी क्वी किताब नि छपालि त तब तक बल तुमतैं क्वी लेखक नि समझदु. बेशक वा किताब छपणो बाद फ्री बाटण प्वाड़ या आलमारी हि मा बंद रौ।
श्रीमती जी," फण्ड फुकौ तुम अपणि कानी।पर इन बतावा कि तुमन मितै बेवकूफ बणै । ताजमहल भैर ही भैर दिखे । भितर कब्र त दिखे हि नि छन। वा तुमार पातर पुष्पा बौ बताणि छै ब्वारी तैं बल"हमने तो ताजमहल के अंदर कब्र भी देखी मुमताज बेगम की . . "
श्रीमान जी," ढाई सौ रुप्या टिकट छै कब्र दिखणक।
अर चालिस रुपया मा त्वै ते सर्रा परिक्रमा करै द्याइ छै ताजमहल की। या क्वी कम बात च क्य।"
श्रीमती जी," हे भगवान । ये आदिम क अक्ल बुढापा मा भि रस्ता मि नि च। म्यार लाटु बल दूण नि सकदु बल अर बीस पाथ खूब सकदु।"
श्रीमान जी," जादा बकबास नि कैर। यखमा अकल कि ही बात च। दौ सो रुप्या देकि द्वी कब्र हि त दिखण छ्याइ तिन। क्य फरक पुड़दु ।"
श्रीमती जी," म्यार धरमून पांच हजार रुपया टैक्सी कैरिक त आगरा तक पहुंच्या हमतैं। अर ये आदिम न द्वी सौ रुप्या टिकट नि ले मेखुणि मुमताज क कब्र दिखणो। एक वू राजा छ्याइ जेन कि अपणि जनानि क याद मा खूबसूरत ताजमहल बणवै अर एक यू च जू द्वी सौ रुप्या भि खर्च नि कैर साक।"
श्रीमान जी," अरे वू राजा छ्याइ अर मि पेंशनर। फरक नि क्य। एक चा कप क्य मांगी कि वींक लेक्चर शुरु। रणदि अब। मि दूध सब्जी लिणो जाणु।
श्रीमती जी," जखि जांदि. पर मितै कब्र दिखाणो दुबार लिजा बस।निथर वीं पातर न मेरी सर्रा मुहल्ला मा बेइजति करणु रैण। "
श्रीमान जी," मि कतै नि जाण्या दुबार। मि क्वी मुमताज कू कजै छौं क्य राजा। जख जाणि छै, आफ हि चलि जा। खांमखांँ हल्ला मचायूं वींक कब्रो पैथर। पर यार मिन त कुछ नि बोलि. . . .
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