माँ मेरी माँ
आटा पानी रोटी
माँ की है ये कहानी
आप सब को सुनानी
माँ की है ये कहानी
माँ मेरी माँ
आटा को सहलाया
पानी से नहलाया
हाथों से गुंजा मुझे
रोटी के काबिल बनया
माँ मेरी माँ
बेलन पलटा आटा
माँ का सहारा पाया
दो हथेली बीच गोला मुझे बनया
पलटा मै रख कर बेलन फिर चलाया
माँ मेरी माँ
गोल जब मै बना ऐसे
माँ का चेहरा मुस्कुराया
उस मुस्कान देखाकर
दिल मेरा भर आया
माँ मेरी माँ
चूल्हा तवा आगा
का संग भी मैने पाया
माँ के हाथों से उठकर
तवे पर भी बुहत सुख पाया
माँ मेरी माँ
जब रोटी बना पका मै
माँ कहकर ही बुलाया
माँ की सुरत को खुदा मेरे
मैने उस रोटी मै ही पाया
माँ मेरी माँ
जब भी रोटी बनाता
माँ की याद आजाती
बीते दिन बुलाता हों
ये आंखें भीग जाती है
माँ मेरी माँ
आटा पानी रोटी
माँ की है ये कहानी
आप सब को सुनानी
माँ की है ये कहानी
माँ मेरी माँ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ