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शुभ रात्री उत्तराखंड


शुभ रात्री उत्तराखंड 

आज छेड़े मुझको कोई आपना ही आपना बनकर 
कैसे कंहों तू नही कोई और है इस नींद को खुद से तजकर 
बादलों में छायी आँखीयाँ बरसे बरखा बनकर 
चाँद सा तू हँसे मुझ पर सजना क्यों पराया बनकर 

आपका ध्यानी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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