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भाग ९५ घपरोल

भाग ९५ 

सुबेर-सुबेर घपरोल


" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमान जी,"आज बढिया कार चूनौ क र्वटि,पिण्डालु मूला क भुज्जि अर भांगलु बि. वाह. वाह मज्जा ऐ ग्याइ।
श्रीमती जी," निथर वीं कुटरी तुमअपणि पातरो घार पहुंचै दिंद चुपिक. ये वास्त म्यार लुकै धर्यां छै डबल बैड पुटक।
श्रीमान जी,"तबि मि वैदिन ढुंढणू छ्याइ जैदिन धरमू अर तू समध्यूल जायां छै. यख कुछ नि छ्याइ एक दाणि आलूक बि।
श्रीमती जी," मि पता छ्याइ. किलै ढुंढणो रै व्हैलि.
श्रीमान जी," मि सब पता च . त्यार इशारा कनै च. मि कुछ नि बुलण्या। फिर तिन बुलण कि बौक तरफदारी करणू।
श्रीमती जी," सब कुछ उगलिक . बल मिन कुछ नि ब्वाल।
श्रीमान जी," द्वी टिक्कड़ क्य बणै दिंद कि जन बुलैं भद्वाड़ खैणि द्याइ.
श्रीमती जी," ल्याव नि पकाणै मिन रुठल.अब खा।
श्रीमान जी," नि पकादि।मि आफिक नि बणै सकदु।
श्रीमती जी," खबरदार जू किचन मा गै।सर्रा लतर पतर करणौ. म्यार काम हौर बढि जांदु।
श्रीमान जी," मि भुज्या- भुज्या खै लिंदु डबल रोटि दगड़।एक कूलाऽ चा त बणौ।
श्रीमती जी," खबरदार जू। डबल रोटी पर हथ लगै। वू धरमूक आफ खुणि सैंडविच बणौन मंगाइ। चा बि नि बणाणा छौं मि ।. चौबिस घण्टा यूंक चा क भाण्डा मजैं मंजै थकि ग्यों मि।
श्रीमान जी," काम क्य तेरु।जब हमन भण्डमजा धरणो ब्वाल त तू देवप्रयागि पंडताइन बण गै। अब च वख बकबास करणी।
श्रीमती जी," वीं पातरो जासूस धरलू मि। हैं! आपर भितर। कतै ना। नि ह्वाल काम त मि आफिक ढूंढल।
श्रीमान जी," यू भुज्या मिन आपर कपाऽल पर लपणू क्य। सर्रा मजा खराब कैरि द्याई।
ले तू हि खा।मि जाणू पारक घुमणो।
श्रीमती जी," पारक घुमणो त बहाना च।.मि सब पता च कि वींक तरक्वाणि मांगणो जाणु ह्वैलु। जखि जांदि। खाणा त खा निथर . . . . पर मिन त कुछ नि बोली.
(घपरोल जारी)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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